वैतालिक | Vaitalik

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Vaitalik by मैथिलीशरण गुप्त - Maithili Sharan Gupt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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च, २ संतानः ( ३९ ) -न्य शरारती खलो, उसे, भव्य भारती भजो, उठो । कांय्य-शरक्ति का दर्शन छो, आये-भक्ति का स्पशन दो ॥ ( ४० ) किरणों की माजनी चढी, উই লুপ की स्वच्छ বানী | बन्द तुम्हारा ही पथ स्यां १ मुद्ध विशुद्ध मनोस्थ क्‍या ? ( ४१ ) ऋत्र से तुम न गये आये, घास-पात पथ पर दाय | किन्तु हिचकियाहट न करो. उनके सिर पर पेर घरों ॥ ( ৮* ) ऊध्य करों स दिब-इल की; निम्न फरा से भूतल की । रवि ने सानों एक फिया, টানা फो श्रालेर दिया । २६




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