ज्ञानसार ग्रंथावली | Gyansaar Granthawali
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
अगरचन्द्र नाहटा - Agarchandra Nahta,
भंवरलाल नाहटा - Bhanwar Lal Nahta,
राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan
भंवरलाल नाहटा - Bhanwar Lal Nahta,
राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
17 MB
कुल पष्ठ :
464
श्रेणी :
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अगरचन्द्र नाहटा - Agarchandra Nahta
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भंवरलाल नाहटा - Bhanwar Lal Nahta
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राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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~ ही पडी रहीं! . इखी वीच श्रीमदू. का साहित्ये प्रकाशना्थै
: कलकत्ते छाया गया प्रर तन तक् कारू परिपाक नहीं हुआ था 1
, - हम उसे गद्दी में छोड़कर बीकानेर चले गये और पोछे से मूषक `
| ९ | मे उसे अपना भक्ष्य बनाना प्रारंभ कर दिया | - हमने वापस शी.
` कर देखा तो उसके बहुत से पठ तो कातर कातर हो गये थ, कु
- रचनाएँ किनारे से सक्षित अवस्था में मिलीं। हमें. अपनी
` „ अखावधानी ओर गणेश्चवाहन की करतूत पर अत्यन्त खेद हुआ।
` इत वटना को मी छगभग १७ क्षं बीत गये; प्रकाशनकी व्यवस्था
. / न हो सकी.।.-पर अपने ऐतिहासिक जन काव्य संग्रह! मे श्रीमदू
. के जीवन सम्वन्धी) ददः श्रीमद् के दाथ से दिखे हए एक स्तवन
क. টা और आप के चित्र का व्छाक बनवोकर प्रकाशित कर दिया था।
। अपने साहित्यिक शध के श्रारयक्रालमे विचर समयदुन्द्र
~ संबन्धी कत्तिपय वादये के उन्तर प्राप्त करने के शिलुशिले में जन
` सोहिय महारथी `स्वगीय . मोहनलाल. दरीचन्द देसाई. से
ए 5 हसारा सम्बन्ध स्थापित हुआ और बहक्रमश: दृढतर होता-गया।
हमारे द्वारा वीकानेर के ज्ञानमंडारों की विपुल खादित्य जोर .
. हमारे रूपह की अनेक महत्त्वपृण कृतियों की सूचना पाकर গন
. »देखाई बीकानेर पधारने के लिए उत्कंठित हो रठे | रबी चाटाघाट
पश्चात् छमंसग १० उप पृत्र उनका बीकानेर पधारना हुआ तो .
.. उन्दोने अपने प्राप श्रीमद् ज्ञानसारजी के पदोकी एक सुन्दर प्रति
জ্বী सूचना दी तो हसने अपने नंकछ किये हुए पद संग्रहकी प्रेसकापी
`` - हल्हें दिखढायी | आप श्रीमद्के पदोंकी मामिकतासे पहले से ही
:, प्रभावित थे ओर सम्भवतः प्राप्त प्रति की प्रेसकापी भी वे कर
এ. জু ঘ अतः हमारी प्रेसकापी भी वे जाते समय साथ छे गये
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