प्राचीन भारत की शासन - संस्थाएँ और राजनीतिक विचार | Prachin Bharat Ki Shasan - Sansthaen Aur Rajanitik Vichar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Prachin Bharat Ki Shasan - Sansthaen Aur Rajanitik Vichar by सत्यकेतु विद्यालंकार - SatyaKetu Vidyalankar

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सत्यकेतु विद्यालंकार - SatyaKetu Vidyalankar

Add Infomation AboutSatyaKetu Vidyalankar

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
ग्रथ धर्माथंफलाय राज्याय नमः । --कामन्दक 'सर्वस्य जीवलोकस्य राजधमें: परायणम्‌। त्रिवर्गो हि समासक्तो राजधर्मेषु कौरव । मोक्षधर्मश्च विस्पष्टः सक्रलोऽत्र॒ समाहितः ॥' --महाभारत, शान्तिपवे (सर्वोक्जीक्कं लोकस्थितिकृन्नीतिशास्त्रकम्‌ । धमथिकाममूलं हि स्मृतं मोक्षप्रदं यतः11' -श्‌ क्रनीति दण्डनीतिरेका विशेत्यौधशनसा:--तस्यां हि सर्वेविद्यारम्भा:. प्रतिबद्धा হুজি छ




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now