आधा पुल | Adha Pul

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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“डीक हैं।” कहकर कैप्टन इलावत वायख्म में चला गया। वह नहा-घोकर कमरे में आाया तो आसाराम ने किताबें टिका दी थो और पेटौको एक कोते में रख कर उसपर गुलदस्ता रख दिया था। कमरा पहले से काफ़ो साफ़-सुथरा नजर आा रहा था। कैप्टन इलावत ने उसको ओर प्रश॑ंता भरो नजरों से देसकर पूछा, “आसाराम, पहले क्या करता था ?” साव, जीटन सावका वेटमैन था। यह कमरा उन्हीं का था। साव कछ सवेरे गये है : मेजर साहद बनकर दुसरो वढाछियन में ।” फिर आसाराम साँस अन्दर खींचकर एकदम छोड़ता हुआ बोला, “साव, बहुत सख्त अफसर थे लेकिन ইজ का वहुत ध्यान रखते थे । मेरा भी छार्यें्र नायक के लिए रिवमेण्डेशन किया या लेकिन... “फिर बना क्यों नहो ?” “सात, वेपन-ट्रेतिंग ठोक नहों था|” “'बहू ठीक कर छो ।” “যান, অনা करेगा। साद का बूटलट्टी साफ करेगा या हथियार चलाना सीखेगा ।” “जब फार्यरिंग प्रैक्टिस खुडेगी तो तुमको भो भेजेगा ।” कंप्टन इलाबत ने कहा । “मेहरबानो होगी, साव ।”! आसाराम ने सब सामान ठीक ढंग से जोड़ दिया और एक ओर खड़ा होकर बोला, “साव, मं यहीं रह पा यूनिट में जाऊ ?” , ''तुम यूनिट में जाओ लेकिन दस दजे एक वार फिर आना ।” “जी साव 77 आसाराम ने कमरे को ताला लग/कर चाबी कंप्टन इलांवत के हवाले कर दी । “सम, राम साव । “राम, राम ।” कैप्टन इलावत आसाराम को जाते देखता रहा ओर फिर मुंह ही मुंह में बुदबुदाया---गुड चैप.,..छेकिन कुछ सनकी है 1 ५ हें छोदें-छोटे कदम उठाता हुआ मेस की ओर बढ गया। छाऊंज के अन्दर से बहुत-सी आवाजें आ रही थीं और वेस्टर्न म्यूजिक की हलको-हलकी घुन बज रही थी । वह एक क्षण के लिए दरवाज़े में ही ठिठक गया और फिर कंप्टन सूद को देस- कर अन्दर चला गया । “हो सर !” कंप्टन सूद ने प्रसन्न भाव से कंप्टन इलावत का स्वागत किया । सबकी नजरें कंप्टन इलावत पर केन्द्रित हो गयो और संगीठ के अतिरिक्त सब शोर खत्म हो गया । भधा पुर




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