ऋषि - सम्प्रदाय का इतिहास | Rishi - Sampraday Ka Itihas

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Rishi - Sampraday Ka Itihas by मोती ऋषि -Moti Rishi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अआपि-सब्षदाय का इतिहास यूव -पी।ठिका निपक्ष और उदार भावत्ता से मनधर्म और इतर धर्मों के स्वरूप के मह्त्पपूर्ण अन्तर को समझ लिया जाय तो जनधर्मे फी अनादिता को समसले से कोई कठिनाई नहीं हो सफतो । উন फोई पथ था गत नहीं है और न चह नर घर्मो की भाति किसी व्यक्ति या पुस्तक पर निभर छू । वेदधर्स के अनुयायी मानते हैँ--- 'नोदनालक्तणो धर्मः 1! प्रयति वेदे नामक पुस्तकों से प्राप्रष्टोने वाली प्रेरणा ही घसे है| यह चेटिक घर्स & । इस व्या्त्या से स्पष्ट है कि वैदिक धरम वेद के अस्तित्व पर जीवित हैं । जब चेद नहीं थे ते बेदिक घर्स भो नहीं था। वेद फे ठाद इस घर्स का प्राहुर्भाव हुआ । इसी प्रकार बौद्ध घ्मे का मद्दात्मा गौसमवुद्ध से प्रादुर्भाव हुआ है | उतसे प्ले वौदटधर्म के अस्तित्व का बोई प्रमाण नहीं है।




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