टेढ़े मेढ़े रास्ते | Tedhe Medhe Raste

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दे हमे १३ रेढ़े मेढ़ें रास्ते तौर इसलिए, मेरी वात पर श्राप घुसा न सानियेगा ! मैं कांग्रेस का साथ दे रहा हूँ श्रपनी गुलामी तोड़ने के लिए । श्रापफा कहना यार दि कि दूसरों को युलाम बनाएं रखने फे लिए में गुलाम बना सह. श्रौर मैं श्रपनी गुलामी तोड़ने पर यदि दसरे मेरी गुलामी से दूर होते हूं तो उसमें कोई एस नहीं समता । दस को नष्ट करने के लिए. स्वयम्‌ नष्ट होने पर श्रापकं विश्वास है; श्र श्राप चादते हैं कि में भी इस यात पर विश्वास करूँ !” रामनाय ने आपने पुत्र को देखा श्रीर थोड़ी देर तक वे एंकटक देखते रहे । फिर धीरे से उन्दोनि कद्दा, “दूसरों को नष्ट करने के प्रयत्न में तुम श्रपने को नष्ट कर रहे दो, मैं नहीं । त्रिटिश सरकार के शारुन में तुम्टें कौन-सा दुख है ! कौन-सा द्रमाव है ? अच्छा खाते हो, श्रच्छा पटनते दो । ज़िन्दसी की सभी सहूलियतें तुम्दारे पास हैं । फिर गुलामी कसी ? श्रीर श्रगर तुम श्रैंगरेज़ों का शासन मापसन्द करते [दो,” रामनाथ का स्वर एकाएंक प्रखर हो रया, “तो याद _ रखना, वे ढकड़खार शोददे सुम्दारे सिर पर अपना पैर रखकर चलेंगे । गुलाम तुम हमेशा रद्दोगे, गुलामी से बच सकना गेर मुमकिन ट्ै | भी तुम्दें दर तरद से श्राराम है, सिफ़ क्रानून की श्राज्ञ भर मानना है; श्र वाद में क्राद्त की दशा ही नहीं, इन नीच लोगों के घमरद की चफी में तुम्दें पिसना पड़ेगा । वुम्टें ये तोड़ देंगे, तुम्दें ये कंगाल बनाकर जूतों से ठुकराएँगे और ठम ज़िन्दगी. मर के लिए रोश्योगे। समझे 1” (५ ५ दयानाय हँस पड़ा, शी दी वात से श्र ऐसे ही विश्वासों से हिन्द- 'स्तान की यद्द हालत दो गई है । 'पने श्न्दर मनुष्यता का श्रमाव होने के कारण हम दूसरों के श्रन्दर भी मनुष्यता के श्रभाव की कल्पना करते दूसरों को उत्पीड़ित करने का पाप दमारे सिर पर एक भयानक भार सा लदा हुआ है और यदद पाप वरावर हमें नीचे मिराता जाता है। दममें सदिच्छा श्र ईमानदारी नहीं हैं । लेकिन इसके ये माने नददीं कि दुनिया में सदिच्छा श्रौर ईमानदारी है ही नहीं । में यदद कहता हूँ कि वैभव में पुता है, पशुता ही नहीं, दानवता हैं। श्र हम दानवों को मनुष्यों से डरने की कोई आवश्यकता नहीं ')




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