समयसार | Samayasaar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
268
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१४
हरी लल षीली नही हलकी भारी नाहि ।
अजर अमर परमातमा रनर पशु के माहि ॥
रोके से सकती नही सब गुण चेतनमा हि।
ठोक से ठुकती नहीं यह गुण चेतन -थाहि॥
गज घोड़ा गाड़ी नहीं गाय मभेंपनहिऊँट |
चीता रीछ् चकोर नहि आतम शिब पद कूट ॥
नहिं यक्षणी यक्ष है व्येतर भूत पिशाच ।
जगदंवा दुर्गां नहीं किन्नर किंकर काच ॥
सूयं चन्द्र॒ नागेन्द्र नहि नहि धरणेन्द्र पुरे ।
ज्ञान चेतना राम है एेसे कहत जिनेन्द्र ॥
चेतन वन्त॒ शरीर म रहे सदा श्रमलान।
नरख परख निज त्रापको मुक्त महल सो पान ॥
श्रव निज म॑ निज ज्ञानले नियत करो परिणाम |
शिव मारग समर करो तव घुघरं सब काम ॥
रागादिवरणा दिसव है पुद्गल कै मेल |
वसुगुण तेरी सुरत है केवल भलके खेल ॥
जगी श्रनादि कौलिमा मोह मेल की बेल ।
भागी मोह की कालिमा निज युए परसो रेल ॥
ज्षेय ज्ञान ज्ञाता सवे तीनो भेद मिटाय ।
किरया कतौकर्मका एक दरब दिखलाय ॥
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