देवीपैज कबिवर लाला मुकुन्दीलाल | Devipaij
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12.22 MB
कुल पष्ठ :
100
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)देवोपेज । ११
| -नखिखिसियियिििििििएएएएपए
न .... घनाक्षरी। ं
'.... जे मानुप्रमा तमतोम को बिनाश करे, पच्छिन मोपटि |
लेसे बाज हने छोपि के । तून-समुदाय पाय जारत कशानु जिमि,
| खगन बिडारे जसे सिंह, मन चोपि के । प्रखर म्रबात लिमि |
। वारिद प्रलोप करें, पन्नग पढ़ारें खगराज निमि कोपि के ।
| सुरन संहाय तिमि अस्बिका मुकुन्दलाल, देत्यबलबाहनी निपाति
| प्रण रोपि के ॥ ४५ ॥....
के सुलना ।
देवि गन सूरतर समर समरत्थ बर, रथन पे रत्य धीरे तोरि
डारें । काटि अति पुच्छ पद, चांथि के सुर्ड रद, कुन्त फरगंसि !
गज पेट फारें ॥ भज्ि बाहन घने, अश्व खचर हने, तुच्छ बेरिन
गने डांटि मारें । बीर चिर्हकत परें बहुरि उठि उठि लरें देखि |
कादर रुरैं हहरि हारें ॥ ४१ ॥
॥ दादा |)
सिमिटिरुघिरसरिताबहुत,मजतशतपिशाच ।
साकन्यादक गावता, करात जागना नाच ॥
.. घनाचारी ।
गिद्ध खग काक कट लास पे भपट्टा दे दे; ले ले मास
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चाच सा झकाश भड़रात है । एक उड़ि आवत विलोकि उड़ि |
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