सुभद्रा अथवा मरणोत्तर जीवन | Subhadra Athava Maranottar Jeevan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
100 MB
कुल पष्ठ :
163
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मिट जार्यै | उदाहरण के लिए हिन्दुओं के पुनजन्मवाद ही को ले
लीजिये । इस सिद्धान्त के मुसलमानों और इंसाइयों के धमग्रन्थ
मानने के तेयार नहीं है| यदि ये दोनों धम वाले शान्ति के साथ
विचार करें और धामिक कदट्टरपन के छोड़ परलोकवासियों से `
पूछें कि “क्या मनुष्य का पुन्जन्म होता है १?” और इस सिद्धान्त
में उनका अनुभव जानने का प्रयत्न करें, तो यथार्थ बात जानने में
बिलम्ब न लगे और मूगड़ा भी दूर हो जाय। इसी प्रकार आय-
समाजा भाइ श्राद्ध तपंणादि को उपयागिता स्वीकार नहीं करे `
ओर तकवाद से इस विषय पर वितण्डाबाद करते हैं । यदि पर-
लोक वासियों की सांज्षी से इस प्रश्न की मीमांसा करने के तेयार
हों, तो यह मतभेद भी सहज हो में मिट सकता है। इन विचारों है ।
पर ध्यान देते हए, कहा जा सकता है, कि परलोक विद्या काः `
कायच्षेत्र बहुत विस्तीर्ण है और धार्मिक वादविवादों को मिटाने .
के लिए यह एक अनुपम साधन है । अठः इस विद्या के प्रचार
की नितान्त आवश्यकता हे। ध
स्वर्गीय महानुभावों की पुख्यतिथियां मनाई जाती है । उनकी
स्मृति में पुस्तका लय अस्पताल अथवा उनको पत्थर की मूतियाँ
या उनके तेलचिच्र रखे जाते है । यह एक प्रथा सी हो गयी है ।
किन्तु उन स्वर्गीय महानुभावे की वास्तविक क्या इच्छा है,
जानने का प्रयत्न केई नहीं करता। क्योंकि यह अ्रयज्ञ नितान्त ध |
User Reviews
No Reviews | Add Yours...