ग्रामीण समाज | Gramin Samaj
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
142
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आमीण समाज १७
चूता खरिदिवा दिया ओर फिर तुम वदी जूता पहनकर वेणीकी तरफसे गवाम
दे अयि ! खक्लू खक् खक् |
गोविन्दकी ओँखें छाल हो आई। उसने पूछा--मैंने गवाही दी १
धर्म ०--गवाही नहीं दी १
गो०--चल झठा कद्दींका ।
धर्म०-- शठा होगा तेरा बाप !
गोविन्दने अपना टूटा हुआ छाता हाथमें छे लिया और उछल्कर
कहा--अच्छा, तो आ साले !
घमदासने अपनी बॉसकी लकड़ी ऊपर उठाकर हुंकार किया और तब फिर
खूब जोरोंसे खेंसना शुरू कर दिया। रमेश घबराकर दोनोंके बीचर्मे आ खड़े
हुए और स्वंमित हो रहे | धर्मेदास अपनी लकड़ी नीचे करके खेँसते हुए.
बैठ गये और बोले--मैं र्ब्तिमें उस सालेका बढ़ा भाई होता हूँ कि नहीं,
इसीलिए, | सालेकी अक्किछ तो देखो-- -
गोविन्द गॉयूछी भी अपने हाथका छाता नीचे रखकर यह कहते हुए बैठ
गये- ट, यह साला मेरा वडा माई है !
शहरके हलवाई अपनी मद्दीका ध्यान छोडकर यह तमाशा देख रहे ये }
चारों तरफ जो छोग काम धन्वेमें छगे हुए. थे, वे छोग भी यह हो-इछा
सुनकर तमाशा देखनेके लिए आ पहुँचे | छडके-बच्चे खेल छोडकर छडाईका
मजा लेने छगे ओर उन सब लेगोंके सामने रमेश मारे छजा और आश्रर्यके
हत-बुद्धिकी तरह स्तव्ध होकर चुपचाप खड़े रहे | उनके मेंहसे एक बात भी
न निकली | यह क्या हो रदा है ! दोनों दी वद्ध, मठे आदमी ओर ब्राह्मण-
सन्तान हैं | ऐसी मामूली-सी बरातपर ये लोग नीच जातिके लेगोंकी तरह
गाली-गखोज कर सकते ह | बरामदेमें बैठे हुए भैरव कपडोंके थाक छगा रहे
थे और ये सब बाते देख ओर सुन रहे थे । अब वे उठकर वहीँ आ पहुँचे
और रमेशसे कहने छगे--कोई चार सो धघोतियों तो हो चुकीं। क्या अमी
और धोतियोंकी जरूरत होगी १
लेकिन स्मेशके मुंहसे हठात् कोई बात ही न निकली। रमेशका यह
अभिभूत भाव देखकर भेरवको हँसी आ गई | उन्होंने बहुत ही कोमर स्वस्ते
समझाते हुए कहा-- छीः गौँगूली महाद्यय ! बाबू तो प्रिछककुल ही अवाकू हो
गये हैं। बाबू, आप इन सब्र बातोंका कुछ खयाल न कीजिएगा । इस तरहकी
8121.
User Reviews
No Reviews | Add Yours...