मूलरामायण | Mularamayan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
769 KB
कुल पष्ठ :
29
श्रेणी :
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No Information available about पाण्डेय श्री रामनारायण दत्त जी शास्त्री - pandey shri ramnarayan dutt ji shastri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ १० ]
प्रविद्य तु महारण्यं रामो राजीवलोचनः ।
विराधं॑ राक्षस॑ हत्वा शरभड्“ं ददशे ह॥४१॥
सुतीक्ष्णं चाप्यगस्त्यं च अगस्त्यभ्रातरं तथा ।
उस महान् वनमे पर्डचनेपर कमरुरोचन रामने विराघ नामक
राप्तसक्रो मारकर शरभङ्ग, सुतीक्ष्ण, अगस्त्य सुनि तथा अगस्त्यके
श्राताका दर्शन किया ।
अगस्त्यवचनाचैव जग्राहैन्द्रं शरासनम् ॥४२॥
खङ्गं च परमप्रीतस्तृणी चाक्षयसायकौ ।
फिर अगस्त्य मुनिके कहनेसे उन्होंने एेन्द्र धनुष, एक खञ्च
ओर दो तूणीर, जिनमें बाण कमी नहो घटते ये, प्रसनतापूर्वक
ग्रहण किये ।
वसतस्तस्य रामस्य वने वनचरैः सह ॥४३॥
ऋषयोऽम्यागमन्सर्वे वधायासुररक्षसाम् ।
एक दिन वनमें वनचरोंके साथ रहनेवाले रामके पास असुर
तथा राक्षसोंके बधके लिये निवेदन करनेको वहाँ के सभी ऋषि आये।
स तेषां प्रतिशुशञ्राव राक्षसानां तदा बने ॥४४॥
ग्रतिज्ञातश्च रामेण वधः संयति रक्षसाम् ।
ऋषीणामभ्रिकल्यानां दण्डकारण्यवासिनाम् ।४५॥
उस समय रामने दण्डकारण्यवासी अश्चिके समान तेजसी उन
ऋषिर्योको राक्षसोके मारनेका वचन दिया ओर सङप्राममे उनके
वधकी प्रतिज्ञा की |
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