शादी | Shaadi
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
184
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)4.
दोनों वहां पहुंचे तो राबर्ट कार्माइकल भी वहां पहुंच गया। वे लगभग
इकट्ठ ही क्लब में पहुंचे । बचे ॥ म
॥ “वे बभी भीतर जा ही रहे थे कि राबदे उनके पीछे-ीछे ही वहां क्लब में
प्रवेश करता दिखाई दिया ।
श्वेतो मिस्टर माधव !* रावद ने पीछे से आवाज दी तो रेवा ৬১ माघव
ठहर गए, वे सैण्टूल हात्न की ओर जा रहे थे। माधव ने रावर्ट से हाथ मिलाया
और पूछा, “आजकल खापके दर्शद बहुत कम होते हैं। में समझा था कि माप
बम्बई से कहीं बाहर गए हुए हैं।” नहीं
“नहीं | यहाँ ही हूं । बात यह है कि कई दिन से रेवा जी कलव नहीं आ रही
थी। भाज यह मुझे विमन््त्रण देकर यहां लाई हैं।” ६
“सत्य ? मैं तो समझा हूं कि यह मुझे मेरी दुकात से उठाकर साथ लाई हैं ?””
माधव ने पुनः चलते हुए कहा।
तीनो सैप्ट्रल हाल की ओर चल पड़े । रेवा अब माघव और कार्माइकल के
बीच में चल रही थी।
कार्माइकल ने कह दिया, “बताओ रेवा ! मैं गलत कह रहा हूं क्या ?”
“पह सर्वंधा सत्य नहीं है।” रेवा ने कह दिया, “देखिए, मैं आपको स्मरण
कराती हूँ। आप मध्याह्न की चाय का निमंत्रण दे मुझे अपने रिटायरिंग रूम में ले
गए थे। वहां बातों हो बातों में आपने पूछा था कि अब क्लब में कब माओगी ?
“कते कहा था, हां, मैं माज वहां जाने की इच्छा कर रही हूं ।
“इस पर आपने कहा था, मैं भी माज चलूंगा ।
मैंने इसका उत्तर कुछ नहीं दिया था ।”
“तो यह मौन रहना स्वीकारोक्ति नहीं थो ? कार्माइकल ने पुछा ।
“हां, परन्तु किस बात की ? मौन रहने का यही अर्थ हो सकता है कि मैं
आपके कार्य में दाघक नहीं । परन्तु इसका यह अर्थ कहां से हो गया कि में आाज
आपके कितो कायं कौ इच्छा कर रही हूं।”
“तो तुम मिस्टर भाधव की संगत को इच्छा करती हो ?”
मेरे कहने का यह बयं नही नि का वह अर्थ है जे
शाह रहे है? है अर्थ नही है। न ही भेरे मौन रहने का वह अये है जो आप
_ और मिस्टर माधव के यह कहने का वया अर्थ है? उसने कहा है
ফুল বলা लाई हो? রি के आपके कक शत
১ इस दिपु में में इनसे बाठ कर सूंगी ॥ जहां तक आपका
मैने आपको क्लब रा का निमन््त्रण दिया है, गलत है1 एमन
केतव भ यह नियम था कि संगत स्वेच्छा से होती थी । कोई किसी को
नही कर सकता था। यह व्यवस्था सबने स्वेच्छा से स्वीकार को हुई थी 1
कनन, § +
User Reviews
No Reviews | Add Yours...