कसायपाहुडस्म | Kasaya-pahudam
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
31 MB
कुल पष्ठ :
404
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गा० २२ ] मूलपयडिपदेसवित्तीए भागाभागां ७
$ ९, जदष्णए पयदं । ढुविहो णिद्देशो--ओघेण आदेसेण य। ओबषेण
जहण्णसमयपबद्धमस्सिदूश अहण्ण कम्मार्ं परदेधवंटणविहाणस्स उकस्ससमयपवद्ध-'
चंटणविधाणसंगो । जहृण्णसंतमस्सिदृण अहण्ह पि कम्मरां पदेसबंटणस्स उकस्स-
संतकम्मपदेसवंटणमंगो । एवं जाणिदूण ऐेदव्य॑ जाव अणाहारि चि।
वेदनीय मोहनीय ज्ञानावरण दर्शनावरण अन्तराय
६१४४ ६१४४ ६१४४ ६१४४ ६१४४
१२२८८ ३०७२ २२५६ ` २५६ . २५६
१८४१२ ९२१६ ६४०० ` दन्न ६४००
লাম गोत्र आयु
६१४४ ६१४४ ६१४४
२६ ९६ ६४
६२४० ६२४० ६२०८
अतः सबसे कम भाग आयुको मिला । उससे अधिक भाग नाम ओर गोत्रको मिला ।
नाम और गोत्रसे अधिक भाग ज्ञानावरण आदिको मिला । उनसे अधिक भाग सोहनीयको
और 9 अधिक भाग वेदनीयको मिला । यह वटवारा व॑धकी अपेक्षासे बतलाया हे ।
पूर्वमे बन्धकी अपेक्षा जो आलें कर्मोका वटवारा किया है उसी प्रकार सत्त्वी अपेश्वा भौ
जानना चाहिये। किन्तु जिस प्रकार सात कर्मोंका बन्ध निरन्तर होता हैः उस प्रकार आयु-
कर्मका यन्ध. निरन्तर नहीं होता। अतः बन्धकी अपेक्षा आठ कर्मोका जो भाग पहले बतलाया
है. बह सत्त्वकी अपेक्षा नहीं प्राप्त होता । किन्तु आठों कर्मोंफा जो समुदित द्रव्य ই आयुका
द्भ्य उसके असंख्यातवें भागप्रमाण ही प्राप्त दोवा है भतः वेदनीयफो छोड़कर शेष छ् कर्मोमेंसे
प्रत्येकका द्रव्य कुछ कम सातवें भाग और चेदनीयका द्रव्य साधिक सातवें भागग्रमाण प्राप्त होता
है। इस प्रकार बन्धकी अपेक्षा सत्तामें स्थित द्रव्यमें इतनी विशेषता है । इस विशेपताके अनुसार
सब द्वव्यका असंख्यातवाँ भाग सबसे पहले अछग करदे । यद् आयुकर्मका भाग होगा। शेष
असंख्यात बहुभागका सात कर्मोमें उसी क्रमसे चढवारा कर ले जिस क्रमसे बन्धकी अपेक्षा
किया है। तात्पये यद्द हैः कि सत्त्वकी अपेक्षा बटवारा करते समय आयुके बिना सात ক্লাস
ही श्वहुभागे समभागो” इत्यदि नियमके अनुसार बटवारा करना चाहिये और आयुकर्मकों
अलग सब संचित द्रव्यका असंख्यातवाँ भाग दे देना चाहिये। मान छोजिये सब संचित द्र॒व्यका
प्रसांण ६५०१५ है. और असंख्यातका प्रमाण ३२ है तो ६५५३६ में ३२ का भाग देने पर
२०४८ प्राप्त होते हैं। इस प्रकार सब द्वव्यका यद्द जो असंख्यातवाँ भाग प्राप्त हुआ बह जायु-
कर्मका हिस्सा है। अब शेप रहा ६१४८८ सो इसका पूर्वोक्त विधानसे शेष सात फर्मोमे ,
बटवारा कर लेना चाहिये।
8 ९. जघन्यका प्रकरण है। निर्देश दो प्रकारका ই--জীঘ और आदेश । ओघसे সিটি
समयप्रबद्धकी अपेक्षा आठों कर्मोके प्रदेशोंके बैंटथारेका विधान उत्कृष्ट समयप्रवद्धके ~
के विधानकी तरह है। तथा जघन्यप्रवेशत्वक्री अपेक्षा आठों ही कर्मोंके प्रदेशोंका बैंटवारा
उत्कृष्ट प्रदेशसस्कर्मके बेटवारेके समान द्वोता छै। इस भ्रकार जानकर अनाहारी पयेन्त ले
जाना चाहिये। |
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