वाल्मीकिरामयणकोश : | Valmikiramayanakosha
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
450
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अंशुधान ] [अंशमान्
झशुधान, एक ग्राम का नाम है जिसके तिकट ग्रड्धा को पार करना
दुस्तर जानकर भरत प्राग्वट नामहू तगर में आ गये (२ ७१, ९)।
अंशुमान् , सगर के पोच সী असमज्ज के पुत्र का नाम है (१ ३८, २२;
७०,३८} । यह् अत्यन्तं पराक्रमी,मृदुमापौ वया सवेप्रिय ये । (१ ३८.२३) ।
राजा समप्की याज्ञा से यज्ञ-अख्वकी रक्षाक्रा उत्तरदायित्वं सुदृढ আহ
घनुं र महारथौ अशु त् ने स्वीकार किया (१ ३९ ६) । “राजा समर ने
अपने पोत्र अशुमान से इस प्रकार कहा पुम शूरवीर, विदान् तथा अपने
ুবজী के समान ही तेजस्वी हो॥ तुम अपने चाचाओ के पथ का अनुसरण
करते हुये उस चोर का पता छगाओ जिसने मेरे यक्ष-अश्व का अपहरण किया
दै । सपने पितामह की इस आज्ञा से अशुमान् ने अपने चाचजो द्वारा पृथिवीं
के भीतर बनाये गय माय का अनुसरण किया । बहाँ इन्हें एक हाथी दिखाई
पडा जिसकी देवता, दानव, राक्षस, पिशाद, पक्षी कौर नाग आदि पूजा कर
रहे थे । मन्नुमान् ने उत्त हाथी से अपने चाचाओं का समाचार অগা আহ
चुरानेदाले का प्रा पूछा । हाथी आपौराद प्रप्य करे भनुमान् उत्त
स्पान पर पहुँचे जहां उनके चाचा [सरपुत) राख के देर हुये पड़े ये।
इन्होंने अपने यज्न-अश्व॒ को भी समीप ही विचरण करते देखा। गहड के
परामर्श के अनुप्तार इन्होंने भद्धा के जठ से जपने चाचाओ का तपेष किया और
तदुपरान्त अपने यज्ञ अस्त को लेकर यज्ञ पूर्ण करते के लिये पितामह सग्र के
पास छौट आये { १४१ ) 1 पुर्पन्याध्च, (१ ४१, १४) । 'महावेडा ',
(६ १ ४१, १५) 1 श्यरखच दृतविययस्व पु्वेसतुन्योभि तरता, (१ ४१, २) !
“वीेवान् अप्या” {१ ४१, २२) । “सगर को मृत्यु के पश्चात् प्रडाउनों
ने परम घर्मात्मा अशुषान् को राजा बनाया 1 अशुमान बस्यन प्रतापी राता
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