हरदत्त का जिन्दगीनामा | Hardatt Ka Zindinama

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Hardatt Ka Zindinama by अमृता प्रीतम - Amrita Pritam

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जलूस में शामिल हो गया उस दिन सैकडो लांगो का मदन का सवाल था कि यह झडा उसने बहा स खरीदा है ? और उस दिन मदन का सैक्डो लागो को जवाब था कि यह झडा मैंन आने वाल वक्‍त से खरीदा है मदन वी यह बात उसकी उम्र से बडी लगती थी--पर उसने दलील दी--मभेरी नजर मे गाधी इसलिए वडा है कि उसने लोगो का यह पहचान दी है कि वह गुलाम है । पर इस पहचान को हथियार स्िफ कम दे सकते है। अहिंसा कभी भी कम नही वन पाएगी । मौर मदन के इस खयाल को उस दिन बहुत बडी ताइद मिल गई जिस दिन उसने ट्रिब्यून मे एक लेख पढा--साइटिफिक सोशलिज्म। यह लेख किसी अब्दुल्ला सफ्दर का लिखा हुआ था, जिससे मिलने वे लिए मदन बेताब हो उठा। मह वप 1939 का था--भऔर यह शायद होनी का एक इशारा था कि एक श्याम मदन के सियासी दांस्तो मे से एक ने कहा कि बह अब्दुल्ला सफ- दर को जानता है और वह मदन को उससे मिला सकता है। उसने यह भी बताया कि सफ्दर ने पोलिटिक्ल ट्रेनिंग रूस मे रहकर ली हुई है ग्वाल मडी का एव मकान था--जहा मदन की सफ्दर से मुलाबात हुई। सफदर चालीस बरस के करीब था और मदन वाईस बरस का, सफ- दर एव प्रभावशाली शस्मियत थी ओर मदन एक व्याकूल जवानी, पर एक ही मुलाकात मे जैसे दोनो हमउम्र हो गए उस दिन मदन को सफ्दर ने बताया कि वह जिस लीग आफ रडिक्ल फाम्रेसमेन का मेबर है, उस लीग की नीव एम एन रायन रपी है। वही “दडिपडट इडिया' का सपादक टै वह 1914 म जमनी वे दादल्ाह्‌ बसर वे पास गया था वि उसकी मदद से वरतानवी राज्य से स्वतातता हासिल वी जाए, पर बरतानवी गुप्तचर उसकी खबर पा गए थे, इसलिए वह वापस हि दुस्तान नही लौट सकता था, वहा से अमरीका चला गया था। पर अमरीका जब जग म शामिल हा गया, तो जमनी केः साथ उसके सवधा के कारण उसे पकड लिया गया। वह जमानत पर धा, जव भागवर मेवपीको पहूच गया 1 यहा वह माक्सवाद स इतना प्रभावित हुआ कि टर्दत्त का जि दगीनामा / 17




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