मुग़ल बादशाहों की हिंदी | Mugal Baadashaahon Kii Hindii
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
125
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ६ )
किसी तुर्की का शब्द नदीं । वह सचमुच हिंदी भाषा का
शब्द है ।
बाबर ने हिंदी भाषा के लिये क्या कुछ किया, इसका ठीक
ठीक पता नदीं । अपनी जन्म-भाषा तुकीं पर उसकी जो ममता
थी वह भी हमारे काम की नहीं । हमें तो यह बताना है कि
बाबर सरा और उसकी गद्दी उसके प्राणप्रिय पुत्र हुमायेँ को
मिली । हुमायें जेसे उदार शासक के लिये जमकर शासन करना
कुछ खिलवाड़ न था कि अपने आप तो पोथियों में पड़ा रहता
और भले भाई शासन की बागडोर चुपचाप उसी के हाथ में
पड़ी रहने देते और अपने मनसूबे को कुछ हराभरा न करते ।
साथ ही पठानों का रक्त भी इतना ठंढा नहीं हो गया था कि
कभी बादशाहत के लिये उसमें जोश ही नहीं आता | अतः
फल यह् हुआ कि प्यारे भाइयों ने विद्रोह किया और पठान
शेरशाह ने समय पाकर उसे हिंद के बाहर शखदेड़ दिया | हुमायें
सचेत हुआ, पुनः चढ़ आया ओर फिर हिंदुस्तान का बादशाह बना।
पर राज्य का सुख भोगने के लिये अधिक दिन तक जीवित न
रह सका । उसका राज्यसुख झलक दिखाकर लुप्त हो गया । इस
आँखमिचौनी के शासन में कुछ ठिकाने से हो पाता तो आज
हुमायूँ के न जाने कितने हिंदी के पंथ होते | पर दुभोग्यवश
उसका कोई पद्य हमारे सामने नहीं है ।
हुमाय्ं के दरबारी कवियों मँ कुछ पेसे भी फारसी के कति
थे जो हिंदी में रचना करते थे और हिंदी-गीतों को बड़े प्रेम से
अपने प्रभु के सामने गाते थे । उनमें शेख अब्दुछ वाहिब बिल-
आमी और शेख गदाई देहलवी मुख्य थे | किंतु खेद है कि
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