असीम | Asim

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राखालदास वंद्योपाध्याय - Rakhaldas Vandyopadhyay

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शम्भुनाथ वाजपेयी - Shambhunath Vajpeyi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूमिका श्री राखालदास बंद्योपाध्याय प्रसिद्ध पुरातत्त्वशास्त्री थे परंतु उनकी अमर यशगाथा के स्तंभ उनके ऐतिहासिक उपन्यास हैं जो किसी भी साहित्य के लिये गौरव की वस्तु हें। हिंदी में तो ऐतिहासिक उपन्यास बहुत द्वी कम हैं, परंतु बंगला साहिस्य में भी, जहाँ ऐति- हासिक उपन्यासों की महत्त्वपूर्ण परंपरा रही है ओर बंकिमचंद्र चटर्जी, रमेशचंद्र दत्त और रवींद्रनाथ ठाकुर जैसे साहित्यन्मह्वारथियों ने एक से एक अपृूवं उपन्यासों की रचना की, राखालदास के ऐतिहासिक उपन्यास अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं । इनके उपन्‍्यासों में तत्कालीन युग की सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक परिस्थितियों का जैसा जीता- ज्ञागता चित्र मिलता है, वैसा अन्य उपन्यासों में नहीं मिलता | फिर भी इनके उपन्यास हिंदी में उतने लोकप्रिय नहीं हुए जितने होने चाहिए थे। पहले तो इनके सभी उपन्यास हिंदी में अनूदित भी नहीं हुए ओर ज्ञो उपन्यास--करुणा, शशांक, मयूख आदि--अनूदित हुए भी हैं वे बहुत लोकप्रिय नहीं हो सके । जब कि बंकिमचंद्र के सभी उपन्यासो के बीसों प्रकाशकों द्वारा अनेक संस्करण हुए वहाँ राखाल बाबू के उपन्यासों के एक या दो ही संस्करण हुए | इसका एक विशेष कारण है । राखाल बाबू उस युग में पैदा हुए जब ऐतिहासिक उपन्यासों का युग बीत चुका था और सामाजिक उपन्यासों का युग चल पढ़ा था और एंक से एक अच्छे सामाजिक उपन्यास छिखे जाने लगे थे । बेंगला में रवींद्रनाथ ठाकुर और शरखंद्र चटर्जी तथा हिंदी में प्रेमचंद के डपन्‍्यासों की धूम मच गईं थी ।




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