भारतवर्ष का इतिहास | Bharatvarsh Ka Itihas

Bharatvarsh Ka Itihas by पं. भगवद्दत्त - Pt. Bhagavadatta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ध . भारतंवष का इतिशास नास्यवेद का व्याख्याकार झाचाये अझभिनवगुप्त लिखता है कि महाभारत शास्त्र में _ शतसइस्र स्ठोक थे 1? रे. सब्‌ £२० के समीप माघप्रणीत शिशुपालवध महाकाव्य पर टीका लिखने वाला बल्लभदेव मद्दाभारत का श्लोक परिमाण सपादलक्ष--१९४,००० मानता है 13 ४. सन्‌ 8०० के समीप का राजशेखर अपनी काव्य-मीमांसा में भारतसंहिता को शतसाइस्री कहता है ।* ४. सन्‌ ६३० के समीप वलभीविनिवासी ऋग्वेद भाष्यकार श्याचार्ये स्कन्द स्वामी अपने भाष्य में भारतान्तगंत अनेक श्ञाख्यानों की छोर संकेत करता है ।* _ हूँ. स्थाणवीश्वर-महाराज थी हषेबधन की राजसभा को सुशोभित करने वाले गद्यकवि भट्ट बाण ने काइदम्बरी छोर हषेचरित दो प्रन्थ-रत्न लिखे थे। ये दोनों ग्रन्थ-महदाभारतान्तरगंत अनेक सरस कथाओं श्र घटनाओं से भरे पढ़े हैं ।* १. द्रेपायनेन सुनिन! यदिदं ब्यघायि शा सहस्शतसम्मितमत्र मोक्ष: । भगवद्वीता-भाष्य, भूमिका लोक २ । २, च्लभदेव का पुत्र चन्द्रादित्य और पौत्र कय्यट था । कथय्यट ने देवीशतक की ' विधति में अपना काठ कछि संबत्‌ ४०७८ अर्थात्‌ सब ९७६ लिखा है । _..... दे, सपादलक्षं श्रीमहाभारतसू। २ । ३८ ॥ इसमें हरिवंश का पाठ भी सम्मिलित होगा । है, पू० ७ य ७, भारते तु ऋषयः शापात्सरस्वती मोचयामासुरित्याख्यानम्‌ ऋगवेद्भाष्य 1१19१ २।९॥ तुलना करो सहा० शब्यपत्रे, अ०् ४४ । ं ६, पाथरथपताकेव वानराक्रान्ता, ० ९७। विराटनगरीव कीचकशताबूता, ए० ६७ । भीष्ममिव शिखण्डिशन्रुसू , प्० १०७ ।. पराशरमिव योजनगन्धाजुसारिणस, पू० १०७, १०८ । :. महाभारते शकुनि-वधा, प्ृ० १४३ | सदामारत-पुराण-रामायणानुरागिणा, प्० १७९ | भास्ती- _ कतनुरिंव आानन्दितसुजज्ञलोकाः, प्र० १८२ । महाभारते दुग्शासनापराघाक्णनम्‌, पृ० १९९ | . 'महामारत-पुराणेतिहासरामायणेषु, प्र० २६३ । महाभारतमिवानन्तगीताकर्णनानन्दितनरम्‌; ....इ० दे१४ |. इत्यादि, कादस्बरी, पचभाग, हरिदासकृत कलिकत्ता संस्करण, शक, १८५७. |. -. . विविधवीररसरामणीयकेन महा भारतमपि ठंघयन, पष्ठ उच्छास, प्र० ९३९ | पाण्डवः ..... सब्यंशाची 'वीनविषयमतिक्रम्य राजसूयसम्पदे क्ुध्यद्‌-गन्धवंघनुष्को टिडाझ्ारकूजितकुजं हेम- .... कूटपबत पराजष्ट; सप्तम उच्छास प०. ७५८. हपषचरित. जीवानन्द संस्करण कॉलकातां; - सब १९१८।




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