मुरधर म्हारो देस | Murdhar Mharo Desh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
0.97 MB
कुल पष्ठ :
96
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)धघम-धम उतरी महला यू राणी निछरावकत करती 11 उजकी धोया री धरती मुक्की उमणा भरती 11 आभो झुकियो गढ़ कगूरा घैना कींकी थण झरती 11 पग धरता बारे पगल्या बिलूबी घरती 11 जस बढाज्यो जलम यात रो मुर्धर रा मोती सूरज बण चमकी परभात रो। | चुयूछ पर चाय करण री चीणी जद बात करैला 11 मरदा नै मरणो ऊअेकर झूठे इतिहास पड़ैला 11 मिनखा रो मोल घंटै जद भारत रो सीस झुकैला 11 हुवैला बात मरण री चस रो अश मंरैला।। हेला दै सुणजे गिरिराज रो मुरघर रा मोती माण घंटे ना रण-बाज रो 1 तोपा टेंक ज़ुद्धवाठी धधघक उठी घुवाकी 11 गोछी पर गरसै गोठी लोडी यू खेलै होती 11 काठक आया ज्यू काठी आभै छाई अधियाली 11 फीको पड़ियो रे रग परभात रो सुरधर सा मोती आछो लायो रे रण जात रो ।1 जमियो रियो सीमा पर छाती पर गोठ्या सहकर 1 दुस्मीड़ा कॉँपै थर-थर मरग्या चींचाड़ा कर-क्रर। 1 सूतो हिन्दवाणी सूरज लाखा ल्हासा रै ऊपर॥1 माता री लाज बचाकर सीमा पर सीस मुगटठ राख्यो था भारत मात रो सुरधर रा मोती सूरज बणग्यो थू_ परभात रो 1 फरज चुकायो था समाज रो मुरधर रा मोती मारग लियो या रीत-रिवाज रो 11 ही मुरघर म्हारों देखा / 5
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