योगप्रदीप | Yogapradip
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
110
श्रेणी :
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लक्ष्मण नारायण गर्दे - Lakshman Narayan Garde
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श्री अरविन्द - Shri Arvind
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हमारा लक्ष्य
भिमानिनी या देहाभिमानिनी सत्ता दी ईश्वर नहीं है, यद्यपि
वह् आती परमात्मासे ही टैः वैसे ही प्रकृतिकी यह
यान्त्रितता ही साता--ईश्वरी--नहीं है ) अवश्य ही इस
यान्निकतामे तथा इसके पीछे माताका अश है जो विकास-
क्रम साघनेके लिये यह सामग्री बनाये हुए, है । पर লালা
स्वय जो कुछ हैं वे कोई अविद्याकी शक्ति नहीं ट) प्रत्युत
भगवानकी चिच्छक्ति, भागवत व्योति; परा प्रकृति ट
जिनत्ते हम मुक्ति ओर भागवत सिद्धिकी कामना करते द् |
पुरुषृ-चेतन्यका अनुभव-- मान्त, खच्छन्द, त्रिगुण
कर्मोका अनासक्त अलिति साक्षित्व--मुक्तिका साधन ই
सिरता, अनासक्ति, गान्तिसय शक्ति ओर आत्मरतिको
प्राणोमे, देहमे ओर मन-बुद्धिमे ठे आना होगा । यदि
इस आरमरतिकी इस प्रकार मन-बुद्धि, प्राण और देहमे
प्रतिष्ठा दो गयी तो प्राणगत यक्तियौके उपद्रवौका हिकार
होनेका अवसर नहीं आ सकता । पर यदह शान्ति, समत्व,
सिर शक्तिः ओंर आनन्दका संस्थापन; माताकी शक्तिका;
आधारमे, केवल प्रथम अवतरण है | इसके परे एक ऐसा
शान है, एक ऐसी सद्चालिका शक्ति है, एक ऐसा गति-
शील आनन्द है जिसका अनुभव सामान्य प्रकृतिकी
उत्तमावस्थामें, अत्यन्त सात्त्विक अवस्थार्मे मी; नहीं हो
सकता, क्योंकि यह भागवत गुण टै ।
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