विधवाओं का इंसाफ | Vidhwaon Ka Insaaf

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Vidhwaon Ka Insaaf by विश्व प्रकाश - Vishv Prakash

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about विश्व प्रकाश - Vishv Prakash

Add Infomation AboutVishv Prakash

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
दूसरा ऋष्याय পপি आओ विवाह विग क्याहै? नारियों की दुर्दशा जो इस समय समाज में हो रही है, उसको देख कर बाईबिल की एक मनोरंजक वात्ता की ओर ध्यान गया और मनोरंजन ॐ विचर से उसे यहाँ पर प्रस्तुत करते हैं। आदम और खी दोनों एडन के बागमें नगे रहते थे । उनको नंगे होने का ज्ञान न था और इसलिये लज्जा भी नहीं थी। ईश्वर ने मना कर दिया गया था कि सब वृक्षों के फल खाना पर एक अमुक वृक्त का फल न खाना नहीं तो स्री मर जावेगी । परन्तु सांप ने स्री को बहकाना आरम्भ किया । “सांप ने स्री से कहा, तुम्हारी मृत्यु नहीं होगी” | “इर जानतां है कि यदि दिन में तुम उसका फल खाओगी तो तुम्हारी आँखें खुल जायंगी, और तुमको देतो के समान गुण और बुराई क समभने की योग्यता हो जवेगी । 9




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now