लघुवोधामृतसार | Laghubodhamritsar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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द्वितीयआजइतिके प्रकाशक “धर्मरत्न,समाजभूषण, सेठ मोतीचंदजी सरियाका संक्षिप्त. परिचय । ০০০০০০৬০১০০ प्रेठ मुहंरणी घनरानौके परिक्र पंशमें सेठ 'चंपादाकर्माके कुरदीपक पुत्र एय-प्तादिव विजपचंदनी गण्पमान ध्याफ़ि दोधये दें। जाप बाध्तवाड़ा स्टेट व बाखर प्रांतफे भूषण थे | वीरता पीरता भौर घार्मिकता भादिम थे. स्थातिप्राप्त ब्याकि थे| হান भी आप प्म्मानित्त छ्रेठ थे । भारत छरकारने गापो ५ गव~ জাহির +) ধ) এহর্ধী प्रदान की थी | भापने धंषत्‌ १९७६ में २७०००) का दान कर डोड़िंग स्थापित की थी जो कि आपके जीवन कं भडार कतो ररी) भापने छप्ते পল काठमें (प्र इचछ्टएप्रीका कई प्रकारप अपने दापो গাধা তথ योका दास किया | ख| राश्पे देनेवार) दशको दि8ा [१ ०६ मेर वापि यधको] इजाएं ढुपये खर्च करके आपने बंद करवा दी ऐ | इसके প্রজার আদি और १२ गांदोमें मी कई जीतोक्री ছি ताके किए बंदर करवाई दे । छातंश यह कि बे बड़ धार्मिक, प्तामानिक लो रानकौप कापि जापक पूरा पपयोग 1इता था | ऐसे नरपुंगव पेठ तिन. यमद्मीके 8९१ सेठ मेतीचदजो ছি ই। आपका जन्म ज्पे्ठ दुफठ ८ वी. संकत १९६८ प्रें हुआ ६1 १२ शह भष्यपरे ह नपक्ो पितृयेमसे वंचित रद जाना




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