अनुभवानन्दलहरी | Anubhavanandlahari
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
64
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अन्वंयप्रदाये संहित॑: 1 - १३
होनेवाली हे (शंरीरःभ्वभ्र शतां) शंदरेरूपं गदे.
के-मश्रय है. स्थिति जिस कीं. ऐसी जी. विषल्ञता'-
कीं समानं अपात -रमणीयरूप [ देखनेमात्ररी
सुन्दर 1. लक्ष्मी ই दे शिष्य! तिसकी ते आश्रय
करेगा तो अवश्य सृत्युकी प्रांप हीवेगा-॥- 8. ॥.
छव बारयावस्थां की दखंरूपताका निरूपणं.
কই 2০51 बी
बांल्यरोग श॒वाकुल हितहर॑ शान्तेः-
कुठार पर युक्तायुंक्त विवेकश न्यहंद्य॑
मूखादि सेधाश्रयम् ॥ नानादीषदशा
विलुब्धमनसां मातगवेचरग्वरं त्व च-
दाश्रयसे विवेक मतिमन् म्रयुस्तदा.
तेधवम् 9০. `
अन्वय पएदाथ~दे विवेकमातिमन् ( चत् वास्यं
से आश्रय से तंदा ते धवं शर्युः भविष्यसि )
हे शिष्य !यदि वारयावस्था को तू आश्रय करेगो
तो अवश्य रूत्युको प्राप्त हीकेगा केली दै. वालयः
वस्था( रोगशर्ताकुल ) सेफडा रगा करके खा-
कुल है (८; हितंदरं >) कल्याणं मे प्रतिबधक्रूयः
संत्रु हैं ( शान्तेः कुंठारं परं ) शान्तिरुपीअर्ूंत-
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