मोपासां की श्रेष्ठ कहानियाँ | Mopasan Ki Shreshth Kahaniyan

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Mopasan Ki Shreshth Kahaniyan by डी. मोपासां - D. Mopasan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१२ मोपार्सां की कहामियाँ कक আনাই हसते हुए बदमाशों के बीच से वह जमीन पर गिर पडा । गिरते ही অন उठा और अपनी छोटी कमीज को जो घूल धघूसरित हो गई थी अपने हाथो से भाड़ने लगा कि किसी ने उससे चिह्लाकर कहा “जाओ, अपने पिता से कहं देना 1 ^ तब उसे हृद्य मे बडी निराशा है । वै उससे अधिक सामथ्यशाली थे, उन्होंने उसे पीटा था ओर उसके पास उन्हें उत्तर मे कहने को कुछ था नही क्योकि वह जानवा था कि उसका कोई पिता नहीं था । गवं के कारण वह अपने अश्र्ओं से जो उसके कश्ठ को अवरुद्ध किये हुए थे, कुछ क्षण तक संघष करता रहा। उसकी सास तेज हो गई--सिसकियाँ आने लगीं, फिर बडे वेग से वह विशब्द रोने लगा--सिसकियों के कारण उसका सारा शरीर दिलने लगा । तब उसके श्र ओं मे, ज गली सलुष्या के उत्सव की भाति, आनन्द का सागर उमड पडा और हाथ मे हाथ डालकर उसके पाल ही दूत बनाकर नाचने लगे । नाचते २ वे गाते जाते थे “कोई पिया नहीं ! कोई पिता नहीं 1 किन्तु एकाएक खसाइसन की हिलकियाँ बन्द हो गई । क्रोध से वह अभिभूत हो गया । उसके पावों के पास ही नीचे पत्थर के हुकडे पढे हुए थे, वह उन्हें उठा २ कर अपनी पूरी शक्ति से अपने सताने बालो के ऊपर फेंकने लगा । दो तींन के चोदें आई ओर वह चिल्लाते हुए भाग खडे हुए । वह उस समय इतना भयानक लग रहा था कि अन्य बालक उससे भयभीत हो गए। एक क्रोध से उभरे हुए व्यक्ति की उपस्थिति में एक भीड की भांति वे कायर वहाँ से भाग खडे हुए । अकेले रहने पर बिना पिता का वह छोटा सा जीव खेतों की ओर भाग दिया, क्योकि उसे कुछ स्मरण हो आया जिसने उसकी र्मा सें एक महान निश्चय संचरित कर दिया। उसने नदी मे इब मरने का निश्चय कर लिया । वास्तव मे, उसे स्मरण हुआ कि एक बेचारा गरीब, जो रुपये न होने के कारण अपनी जीविका निर्वाह के लिये भीख मागता था नदी मे डूब मरा था लोगा ने उसे जब पानी के बाहर निकाला तब साइमन भी वहीं था; और उस व्यक्ति पर जो बहुत ही दुःखी और मही की शक्त का लग रहा था, उसके पीले गालो, उसकी लम्बी दाढ़ी, और उसकी शान्तिपूर्ण खुली




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