मोपासां की श्रेष्ठ कहानियाँ | Mopasan Ki Shraishth Kahaniya

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Mopasan Ki Shraishth Kahaniya by डी. मोपासां - D. Mopasan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चिट तरप्त50 07067 औीश्एस्‍कू नव थक साइमन का पिता “व. 5५ श्रभी दोपहर हुई थी । स्कूल का द्वार खुला 'थौर जल्दी से बाहर निकलने के लिये हल्ला मचाते हुए एक दूसरे पर गिरते पढ़ते बच्चे बाहर निकल पढ़े । किन्तु सनित्यप्रति की भाँति श्रलग रे घर जाकर भोजन करने की बजाय वे कुछ कदम श्रागे जाकर रुके श्र छोटी २ टुकढ़ियों में वैँट कर '्रापस में कुछ सलाह करने लगे । बात यह थी कि उस दिन सुवह ला ब्लाचोंटे का लड़का साहमन पहिली यार स्कूल श्राया था । उन सब वच्चों ने झपने २ घरों में ला ब्लाचोटे के विपय में सुन रखा था; 'यौर यद्यपि पुरुषों में उसका श्वादर बहुत था, किन्तु माताएं उसके साथ कुछ घ्रणास्पद-सा व्यवहार करती थीं जिसके कारण को बिना समसे ही बच्चों के ऊपर भी व्यवद्दार की छाप पढ़ चुकी थी । जहाँ तक साइमन से सम्बन्ध था वे लोग उसे नहीं जानते थे क्योंकि वह कभी बाहर नहीं गया था श्रौर न उन लोगों के साथ कभी गाँव की सड़कों श्रथवा नदी के तटों पर ही खेला था । इसलिये वे उसे थोड़ा-सा प्यार भी करते थे; श्रौर थ्राज सुवह तो किसी श्वारचय मिश्रित थ्रानन्द से वे लोग छोटी २ इकड़ियों में वेट कर एक 'चौदद्द या पन्‍्द्द वर्ष के लड़के द्वारा कहे गये वाक्य को दुद्दरा रदे थे । प्रतीत होता था कि वद्द लड़का उसकी सब बातों को भली भाँति जानता या । कैसी चतुराई से धाँख मारकर उसने कहा था “तुस साइमन को जानते हो--उसका कोई पिता नहीं हे। ला ब्लाचोटे का लड़का भी थ्रपनी पारी पर स्कूल के द्वार से निकलता ड्ुधा दिखलाई दिया । वह सात या थाठ वर्ष का साफ सुथरा, कुछ पीला सा, दीन एवं कायर स्वभाव का लड़का था ।




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