अमृता प्रीतम चुनी हुई कविताएँ | Amrita Pritam Chunee Hui Kavitayen

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Amrita Pritam   Chunee Hui Kavitayen by अमृता प्रीतम - Amrita Pritam

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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धूप का टुकड़ा मुझे वह समय याद है-- जब धूप का एक टुकडा सूरज की उगली थाम कर अँघेरे का मेला देखता उस भीड में यो गया सोचती हूं सहम का और सुनेपन का एक नाता है मैं इस वी कुछ नहीं लगती पर इस खोये बच्चे ने मेरा हाथ थाम लिया तुम कही नही मिलते हाथ को छू रहा है एक नन्हा-सा गर्म इवास न हाथ से यहलता है न हाथ को छोडता है अंधेरे वा कोई पार नहीं भेले के शोर मे भी एक खामोशी का आलम है और तुम्हारी याद इस तरह जैसे धूप का एक टुकड़ा अमृता प्रीतम चुनी हुई कविताएँ / 3




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