जैन धर्म विषयक प्रश्नोत्तर | Jain Dharm Vishayak Prashnottar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Jain Dharm Vishayak Prashnottar by बाबू राम जैन - Babu Ram Jain

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about बाबू राम जैन - Babu Ram Jain

Add Infomation AboutBabu Ram Jain

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
५६ य्‌ ५२ ५४ ৮ ५६ ५७ १७ जैनधमं ओर बुद्धघमे के शाखो की तुलना १४३- १४४ जेनधमं के शाश्च का संचय १४५--१४६ जेन आगमों के प्रति जेनों की लापरवाही | के लिये उन्हें उपालम्भ | १४७- १४८ जैन मंदिर और साधर्मी वात्सल्य करने की रीति १४६-१४० जैनधर्म के सख्त नियम हैं इसीलिये इसका अधिक प्रसार नहीं हुआ १४१ चौद দুল | ९५२ अन्यमताबल्नम्बियों ते जेनधमं के पंचपरमेष्ठी ओर लोक की व्यवस्था के बदले में अपनी कल्पना बुद्धि से किस रूप में कल्पना की है १५८३ कमे किसे कहते हँ, आठ कमं और उनकी १४८ उत्तर प्रकृतियाँ १५४ श्रमण सगवान महाबीर स्वामी से लेकर दवर्दिगसि त्तमा श्रमण तक आचार्यो की बुद्धि ओर दिगम्बर मत जेन श्वेतांबर धर्मं . से पीछे निकला है इसका प्रमाण १४५ द्बद्धिगणि क्षमाश्रमण ने महावीर भगवान्‌ की पट्ट परम्परा से चले आते লহ তাস अगस ज्ञान को पुस्तकारढ किया उनकी सथुरा के प्राचीन लेखों से सिद्धि १४६-१४७ जेनधम की मान्यतानुसार योजन कां प्रमाण १४८-१४६ गुरु के भेद.,उनकी उपमा एवं श्वरूप,घर्मोपदेश




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now