प्रारंभिक रचनाएँ भाग - 1 | Prarambhik Rachanaen Bhag - 1

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Prarambhik Rachanaen Bhag - 1 by बच्चन - Bacchan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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संबोधन बुलाऊँ क्‍यों में तुम्हें पुकार, जान ले क्‍यों सारा संसार,. तुम्हें इन कलियों का मधु वास. खींच लाएगा मेरे पास) रहें हम-तुम जब केवल साथ पिन्दा दू হাহ तुम्हें चुपचाप, न पाए हम दोनों का प्यार कभी शंकाज्लु विश्व में व्याप।. तुम्हारी औवा में सुकुमार, 81 ० রর सुशामित हों यह मेरा हार; खिले कलियों-सला मन सुकुमार ইলাহা तुम्हें निहार-निहार !. ৫০




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