पुराणो में योगदर्शन ओर उसकी समीक्षा | Purano Me Yogdarshan Aur Uski Sameeksha
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
368
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पुराणो का रचना-स्थान तथा समय
प्राचीन काल मे तीर्थ स्थानो मे पुराणो की कथा हुआ करती थी जिसे सुनने के लिए दूर-दूर
से लोग आया करते थे। यह प्रसिद्ध है कि नैमिषारण्य, जो उत्तर प्रदेश कं सीतापुर जिले मे
नेमिसार अथवा नीमसार के नाम से प्रसिद्ध है, मे साठ हजार ऋषियो को सूत्र ने पुराणो की कथा
सुनायी थी। इस प्रकार यह अनुमान किया जां सकता है कि ये तीर्थ स्थान ही पुराणो की रवना
तथा श्रवण के स्थान रहे होगे | सभी पुराणो की रचना एक ही तीर्थं अथवा क्षत्र मे हई इसे स्वीकार
करना युक्त्िसगत नही प्रतीत होता। पौराणिक विवरणो से ज्ञात होता है कि वे निश्चयत भारत
के विभिन्न भागो मे अनेक कालो मे रचे गये होगे | विभिन्न पुराणो मे किसी एक विशेष तीर्थ स्थान
नग अथवा नदी का विशद् तथा विस्तृत वर्णन पाया जाता है। उस तीर्थ के माहात्म्य की बृहद
प्रशसा की गई है | कही-कही किसी स्थान विशेष के प्रति पक्षपात पूर्ण विवरण भी पाया जाता हे |
उदाहरण के लिए पद्मपुराण मे पुष्कर क्षेत्र की महिमा का अत्यन्त भव्य वर्णन मिलता हे । इसमे
इसे समस्त तीर्थो मे श्रेष्ठ तथा महत्वपूर्णं कहा गया है । अत विद्वान ने इन उल्लेखो के आधार
पर पुराणो के रचना-स्थल का अनुमान लगाने का प्रयास किया है } दीक्षितार के मतानुसार वायु
पुराण की रचना गया ब्रहुमवैवर्त्त की उड़ीसा, माक॑ण्डय पुराण की रचना नर्मदा की घाटी मे मानी
जा सकती है एक अन्य उल्लेख के अनुसार पुराणो के रचनास्थल निम्नाकित है-ब्रहम-पुराण की
रचना उड़ीसा, पद्म पुराण की पुष्कर, अग्नि पुराण की गया, कमं पुराण की वाराणसी, वाराह पुराण
की मथुरा वामन पुराण की स्थाणेश्वर ओर मत्स्य पुराण की नर्मदा की घाटी मे हुई २
पुराणो की रचना कब हई इस विषय पर काफी मतभेद है | कुछ विद्वान यहाँ तक कि पुराण
स्वय अपनी रचना को वेदो के साथ-साथ या इससे पूर्वं की बतलाते है । इस विषय मे मत्स्य
१-दीक्षितार दि पुराण ए स्टडी, इ० हि० क्वा०, भाग -प पृष्ठ, ७४७
२-एस० भीमशकर राव हिस्टारिकल इम्पार्टस आफ दि पुराणाज क्वा० ज० आ० हि० रि० सोऽ भाग २ ঘু্ত০০
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