नाट्यसम्भव | Natyasambhav

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Natyasambhav by पं. किशोरीलाल गोस्वामी - Pt. Kishorilal Goswami

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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এপস = नाव्यप्म्भव । ९. 1 1 1 বিড রত ৫৪ 1 कम পানি 1 ) जब भले यहां से ! ; दूसरी अप्सरा 1 हां धद्धिन ! चले माग क्री चलकर । भ्गवती की पूजा करें। | (देनं गं) परदा गिरता 1 इति चिप्कम्भक। पहिला दृश्य । ( शङ्गभूमि फा परदा उठता रै) स्थान नन्दनवन--माधवी कुंज । ( उदासीन वेश बनाये आगे २ इन्द्र ओ पीछे २ सोने का आसा लिए प्रतिहारी সালা ই) इन्द्र | ( घूस कर ) अहा ! यह किसने काने में अक्ृत की चुद्‌ टकरा ! ( हैं सुख सूरज उदे इत्यादि फिर से पढ़कर) हा! क्या वह दिन जल्दी आवेगा? हे प्यारी पुलेमजे | फव तुम्हारी साधुरो सूत्ति का दृ्शन है गा ? प्रिये ! तुम्हारे बचनारृत के प्यासे इन काने की कब तृप्ति हैगी ? भरे नि्देदे विधाता ! इसने तेरा घ्या নিশার ঘা জী तूने बैठे बैठाये बैर विसाह कर




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