प्रारम्भिक एतिहासिक काल भारत में शिल्प एवं उद्योग | Crafts and industries in north india during early historic period
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
291
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पुरातत्व दोनों में उपलब्ध हैं। इस अध्याय में सूती वस्त्र उद्योग, रेशमी वस्त्र उद्योग
और ऊनी वस्त्र उद्योग के साथ-साथ चर्म उद्योग और कुछ अन्य महत्वपूर्ण शिल्प
एवं उद्योगों की विवेचना की गयी हे |
ভীভ ग्रन्थों से ज्ञात होता है कि आरम्यिक ऐतिहापिक काल में তন তলা
अत्यन्त विकसित था। তন उद्योग से जुज़े कुछ शिल्पी तो इतने प्रवीण थे कि दने
हुए मोटे वस्त्र को एक विशेष प्रक्रिया द्वारा बारीक कस्त्र में परिवर्तित कर सकते थे।
यदि ऐसा था तो हम कह सकते हैं कि वस्त्र उद्योग में अयुक्त होने वाली यह
तकनीक आज के वैज्ञानिक युग के लिए थी एक चुनौती है।/ सूती, रेशमी और वस्त्रों
का निर्माण कैसे किया जाता था, उस समय भारत में महत्वपूर्ण वस्त्र-निर्माण केन्द्र
कौन-कौन थे, वस्त्र निर्माण के लिए आवश्यक कच्चा माल कहाँ से प्राप्त होता था,
विदेश में भारतीय वस्त्रों की कितनी माँग थी, इन सबके बारे में विस्तार से इस
अध्याय में बतलाया गया है। यहीं नहीं वस्त्रों को रंगने और धुलने की प्रकिया पर
भी प्रकाश डाला गया है। पीले, नीले, लाल, हरे, काले, सफेंद रंग के वस्त्रों को
किस समय पहना जाता था, इस का भी अध्ययन किया गया है। महाभारत के
अनुसार विभिन्न सभाओं और समारोंहों में श्रीकृष्ण पीत-कौशेय वस्त्र धारण किये
सम्मिलित होते थे। पीताम्बर(पीला वस्त्र) तो श्रीकृष्ण का प्रिय वस्त्र था। रामायण
म बाल्मीकि ने रावण को पीताम्बरः धारण किये हुए वर्णित किया है। महभारत में
अश्वत्थामा के वस्त्र नीले रंग के प्रदर्शित किये गये है। बलभद्र(बलराम) का भी वस्त्र
नीले रंग का था। लाल वस्त्र उस समय भी खतरे का प्रतीक था जैसा आज भी है।
लाल रंग के वस्त्र से रौद्र का वातावरण आधिक व्यक्त होता था। जिस समय
मेघनाथ. युद्ध के लिए तैयार होकर चला था उस समय उसने रक्त वर्णं का वस्त्र
पहन रखा था। सत्यवान का प्राण लेने के लिए आये यमराज का वस्त्र.भी रक्त वर्ण
था। इससे यह स्पष्ट होता है कि जब कभी किसी के प्राण लेने का उपकम होता `
था तब लाल रंग के वस्त्रं का प्रयोग किया जाता था। इसलिए रक्त रंजित युद्ध
भूमि में वस्त्रों का रंग लाल होना स्वाभाविक था। इसी तरह काला वस्त्र मृत्यु, शोक
ओर दुःखे का परिचायक माना जाता था। महाभारतं के अनुसार परीक्षित ने समूचे
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