इंग्लैंड मे महात्मा जी | England Mein Mahtama Ji
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
31 MB
कुल पष्ठ :
316
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[_ सागर की लहरों पर से--+
चला सकते ९ ओर क्या तुम सममते हो. कि वहाँ के
आदमी ऐसे सुन्द्र बेगों में ही अपने कागज़-पत्र ले जाते हैं ९
हगिज् नहीं | सम्भव है. लोम्बड स्ट्रीट में कुछ मालदार पूँजी*
पत्यों, व्यवसाइयों अथवा बड़े-बड़े राजनीतिज्ञों के हाथ में
तुम ऐसे बेग देखो, वे उनमें महत्वपूण सरकारी कागज़-पत्र ले जावे
हुए दिखाई दें, लेकिन तुम्हारे-हाथ में ये हास्यास्पद मारूम होंगे ।?
एक मित्र ने बड़े आग्रह से एक दुर्बीन दिया था। उसको भी
वही दशा हुई, जब उसपर वह्दी साधारण कसौटी लगाई गई,
कि हमें ऐसी कोई चीज न रखनी चाहिए, जो साधारण अवस्था
मैं हम न रख सकते हों । लेकिन इस तरह की बातों से काफ़ी
मनोरखन हुआ और गाँवीजो का क्रोध शान्त हो गया। एक
मित्र ने कृपा कर जहाज पर गॉँधीजी के इस्तेमाल के लिए एक.
मोड़ कर रक्खी जा सकने योग्य, अमेरिका की बनी हुई, सकरी
बचारपाई दी थी | उसे देखकर गाँधीजी ने कहा-ओह, क्या यह
सफ्री चारपाई है ? मैं तो समझता था कि यहहाकी का सेट है !
अच्छा, इस हाकी-सेट को भी जाने दो । क्या तुमने कभी सुझे
इसका उपयोग करते देखा है ¢ इसी चण हमरे ओर उन
कष्ट को दूर करने के लिए श्री शुएब कुरेंशी आ पहुँचे ओर तुरन्त
हो गाँधीजी नेभज़ाक करते हुए उनसे कहा “अच्छा शुणत्र, यदि
नवाब साहब ( भोपाल ) की पार्टी में कोई काश्मोरी दुशाले
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