शासन पर दो निबंध | Sasan Per Do Nibandh
श्रेणी : हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
28 MB
कुल पष्ठ :
302
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
जॉन लोके - John Locke
जॉन लॉक (1632-1704) आंग्ल दार्शनिक एवं राजनैतिक विचारक थे।
सरला मोहनलाल - Saralaa Mohanlal
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)= १ ९२ ~
से असंगत है । वास्तव में 05599 की प्रथम और द्वितीय पुस्तकें चतुर्थ पुस्तक के लिए!
भूमिका प्रस्तुत करती है जिसमें ज्ञान के मूल तथा उसकी निशचयात्मकता और सीमा को
निर्धारित करने का प्रयत्न किया गया है । (लॉक के अनुसार उसके 115547 का यही मुख्य
ध्येय है। इस दृष्टिकोण से विचार करने पर 11589ए के अनुभववाद (12712110912)
और टू ट्रीटिज़ेज़ के बृद्धिवाद (प्राकृतिक विधान की धारणा सम्बन्धी) का जो विरोध
प्राय: प्रदशित किया जाता है वह अतिरञ्जित ओर भ्रामक है, क्योंकि वह 12859
के बृद्धिवादी स्वरूप की उपेक्षा करता है।'
प्राकृतिक विधान को लोक बुद्धि का विधान मानता है। इसका ज्ञान गणित या
ज्यामिति के ज्ञान की ही तरह प्राप्त होता है । किन्तु गणित ओर नीतिशास्त्र मे एक
विशेष अन्तर है । नैतिकता की कल्पना ईइवर के अस्तित्व के बिना नहीं की जा सकती ।
कारणवाद के सिद्धान्त के आधार पर हम अपने अस्तित्व के ज्ञान से ईइवर के अस्तित्व
का अनुमान करते हं । प्राकृतिक विधान उसी की सृष्टि हैँ । ईश्वर ओर प्राकृतिक
विधान के सम्बन्ध के विषय में राजदर्शन के इतिहास में दो प्रसिद्ध मत रहे हैं। मध्य-
युग के कुछ विचारकों के अनुसार प्राकृतिक विधान की उत्पत्ति ईइवर में व्याप्त बुद्धि
से है। ছুহন अपनी इच्छामात्र से इसमें परिवर्तेन नहीं कर सकता। प्राकृतिक विधान _ अपनी इच्छामात्र से इसमें परिवर्तन नहीं कर सकता। प्राकृतिक विधान
इसलिए ठीक नहीं है कि वह ईश्वर का आदेश है बल्कि ईश्वर ने उसे इसलिए समा-
दिष्ट किया है कि वह स्वतः ठीक है| ये विचारक 1२ ८७115/5 कहे जाते हैं। विधान-
शास्त्र (]0787770०7८८) में यह सिद्धान्त बुद्धिवाद (17061०८८प५०15 त [ल्क
०11७7) के नाम से प्रचलित है जिसके अनुसार विधान संप्रभु (५०ए८ ०४7 ) की
आज्ञा ((070:0970 ) नही है, बल्कि प्रकृति एवं मानव में निहित बुद्धिसंगत व्यवस्था
की अभिव्यक्ति है। इसीलिए वह शासक तथा दासित दोनों को बाध्य करता है ॥
इसके विपरीत ]५०४४77००1180$ कहे जानेवाले विचारकों का मत यह है कि प्राकृतिक
विधान ईइवर की इच्छा का द्योतक है। देवी इच्छा पूर्ण स्वतन्त्र है। वह बौद्धिकता
1. लाक के दर्शन के बुद्धिवादी पहल को महत्त्व देनेवाली कृतियों में ये मुख्य हैं--.0. ^.
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