प्रेम का अंत | Prem Ka Ant

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Pram Ka Anth by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लेखक--एऐटन चेखव ] १६३ उसके जीवन कै दो पहलू यथे : एक तो जिसे खभी जानतेथे, जो उसके विपय में कुछ भी कोतृहल रखते थे। यह ज़्िद्गी चेसी ही थी सेदो उस मित्रो भोर जान-पष्टिचान वालो कौ थी । सत्य पौर 'यसत्य का उसमे व्यावहारिक सम्मिश्रण था । पर सौका ऐसा आ। पडा था कि गोमोब को अपना असला व्यक्तित्व छिपाये रखना पडता था। कहाँ बह मूठ से कोसो दूर भागता था ओोर कहाँ उसे एक दीघे असत्य का निर्माण करना पड़ा, जो जनसाधारण का दृष्टि मे कभी म्य न होता । ससार के सम्पुख तो मोमोव वंकमे काम करता, सिया के विषय में मज़ाक किया करता, उत्सवों में अपनी पत्नी के साथ सम्मिलित होता, पर रात्रि के अधकार के समान उसको ज़िन्दगी का दूसरा पहलू दूसरों की दृष्टि से छिपा था | गोमोव कभी-कभी सोचता कि उसकी गति निराली नही, भव्येक व्यक्ति के जीवन का कुद एेसा हौ रेया हे 1 अपनी कन्या को स्कल मे छोड कर गोमोव (स्लाविस्की वाजार' पहेचा 1 नीचे নাজ कमरे मे हौ उसने पना समर का कोट उतार कर रख दिया भोर सीढ़िया से पहली मजिल पर जा पचा । हार उसने बहुत धीरे से खटखटाया । ग्रज्ञा सेरगेयेयना अपना प्रिय भूरा चख पहिने थी। यात्रा से वह थका हुई थी । रात भर उसने गामोव की प्रतीक्षा की थी । उसका সুজ पोला था और गोमोव को देख कर भी उसझे मुफ्त पर सुस्कराहट न था सकी । उसके वक्ष पर भ्यपना सिर रेख कर्‌ वह सिसकने लगी। उनका सुम्यन भें दीघे कालीन था, जैसे उन्होने वर्षो से एक दूसरे को देखा যা शो 1 = 0११ 1; च “কী, দা হাল ই? লন पूा-- समाचार च्या ए ¶ ठहर 1 में 'पभी तुम्हे बताती हू । नहीं, मुझसे यह कहते नही बनेगा। वह घोल न सकी, उसके नेयों से 'पश्षु भर रहे थे । घेर यह थोपा रो से . । में छदर नही सकता ऐ्वे'--उसने सोचा सोर वही थेठ गया 1 फिर उसने घण्टी बजा 7” चाय संगवायी | जब बह चाय पी रहा था, दथा ` के ~ च | के रयये से सतोप ति पवित्र प्रेम पर




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