भारतीय व्यापारियों का परिचय भाग - 3 | Bharatiy Vyapariyon Ka Parichay Bhag - 3
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
910
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)करांची-सटी
आति पर बनाए गये हैं। इसके अतिरिक्त २ रास्ते और जो कि २८ फीट गहरे हैं, बनाए जा रहे हैं ।
कर्राची पोर्ट पर जहाणों की बढ़ती--
सन् १८४७, ४८ में इस बन्दूर पर कुछ २९१ देशी काफ थे। लिनका कुल वजन
३०५०९ ठन था। सब १९०३,४ में दूसरे विदेशी बंदरों से यहाँ १८४ काफ जिनमें
१७४ तो स्टीम से चलते थे जिनका वजन ३०११०९ टन था । इसी साल ५१५ काफ यहाँ से
बाहर के बंदरों पर भेजे गये ।
भारत भौर वमौ ॐ पोरोँ से यदो १३११ आये । जो क्रि ५६५७४३६ ठन माल ते जा सके
थे । इसी प्रकार भारत तथा वो फे पोर्टों पर यहाँ से ११७७ गये जो कि ३९२४९३ टन वजन
के थे। इन सवका इन्तिजाम यहाँ के पोर्ट ट्रस्ट के द्वारा होता है। इसकी आय सन् १९०३,४
में करीब १९ लाख तथाख करीब १३ लाख का था। इसके चार पाँच साल बाद तक की
औसत आमदनी २१ लाख तथा खचे १५६ लाख का था । यहाँ की जहाजी कम्पनियों में खास
कर एलसमेन, विलसन, रिटक, हंसा, आस्ट्रियन लॉयड, प्रिविश इंडिया, और वास्बे स्टीस नेवि-
गेशन कस्पनियाँ हैं।
হযুনিবিউতিবী ~
इस शहर में स्युमिसिपेतिटी की स्थापना सन् १८५२ भे हर । इसकी भय बढ़ते २
सम् १९०१ मँ १२ ताल की हृद । इसके पश्चात् १९०३, ४ में १५ लाख की आमदनी
तथा १४ लाख का ख हुआ। इसकी आमदनी के खास जरियों में से कस्टम से १० लाख
(इसमें ६ लाख की वापी हदे कम शामित नहीं है) घर और जमोन का टेक्स ५१०००)
और किराया २७०००) है। इसी प्रकार खच की रकमों में खास २ जैसे इन्तिजाम में ७
लाख, पानी তাই करने में ६२०००) कम्सखेन््सी में १५०००) विद्याजाते में ४९०००),
হাতি জীব दवालानों में १५०००) पब्लिक बक्से में १६३०००) है ।
कैरटूनमेंट का इन्तिजाम भी कमेटी के ही हाथों में है। वहाँ की आमदनी तथा खर्च
सन् १९०३, ४ में करीब १८५००) का था।
कराची में सबसे जरुटिपू्ण बात है पानी की कसी । यहाँ के हुव से तो पानी पि क
काम में ही नहीं आते | हाँ, लियारी में कुछ हुए काप्त देते हैं । बंदर पर रहने वाले और खिया-
मारी के लोग गाड़ियों द्वारा पानी प्राप्त करते हैं जो कि छावनी से लाया जाता है। घर बनाने
के लिये कोटरी नामक स्थान से ইন के द्वारा पानी आता है। इसी अकार की कमी को पूर्ण करने
के लिये सर १८८२ में मालियर नामऋ नदी से एक बड़ी नहर करोब १८ मील लम्बी करार
कर यहाँ लाई गई है। इसमें करीब ५ लाख रुपैया खर्च हुआ । इस नहर क्षे आजाने से कराँची
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