उत्तरज्झयणाणि [उत्तराध्ययन सूत्र] [भाग १] | Uttarajjhayanani [The Uttaradhyayana Sutra] [Part 1]
श्रेणी : अन्य / Others
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
555
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सूमिका ३
3$--নঅহচাজিভী २९ चान्न
3२--पमायटाणाड़ ९55 प्रमाद्-स्थान
ॐ55-कम्मपगढी ३५ कम
3४---लेसज्क्रयण ६९ হু
3५--नभणगारमग्गे =, मक्षु के शुण
३६-- जीवाजीवाविमत्ती 35৫ जोव ओर जननीव का प्रतिपादन
इस सूत्र में माषा के विशिष्ट प्रयोग ठपक्ब्य ङ्लोते हैः । इसकी प्रुक भाषा णगर्द्धमागधी प्राक्त है, परन्तु
यत्र- तन्न मह्ाराण्ट्री-प्राकत कै प्रयोग भो बक्कता से मिरुते ই |
জল ष्ठो ँ*चशित विषय-वस्तु का विजश्ञद विवेचन “देसवेशालिय तत्व ठत्तरत्कयण?” की मूरमिका
( पृष्ठ ९-४६ ) मे किया जा 'चुका छै | व्याकरण, छनन््द, चुकनात्मक, भुगोक्त और व्यक्ति-परिचिय--ड्ननका विमर्ड
“ठचराध्ययन रुक समीक्षात्मक भध्ययन? में किया ना चुका हरे |
वाव
--आचायं तुलसो
२६ अप्रैल, १९६७
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