नमस्कार महामंत्र | Namaskar Mahamantara

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Namaskar Mahamantara by कैलाशचन्द्र सिद्धान्तशास्त्री - Kailashchandra Siddhantshastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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সঙ্গ शक्तिका प्रयोग ११ गया है, या पाठ शुद्ध होते हलके भी जप फ्रने वालेफा चित्त एफाप्त नहीं है. उसमे उसकी छद्धा नहीं है तो मन्त्रशक्ति फोये- फार नदन ष सप्तो सतत रोगको चिपिस्साफे लिये योग्य वैयके द्वारा योग्य औपधिका प्रयोग, उसफा चथाविधि सेवन और रोगीफा पश्य परहेज जझूरी हैं; इनफे प्रिना योग्य औपनि भी मायकारों नहीं होा। सपती, चैमेष्टी सच्च धक्तिफे सम्धन्धम भी समझना चाहिये । जैसे 'निर्वाज्षमत्तर লাল ধন ঘা ‹ नास्ति मृलमनापयम' अर्थान्‌ समे तेना कोटे ण्ड नदी घक्तियाला न ছা बसे हो एसी कोहं वनस्पति नातं जो ्रौपपिः रूप न हो | आावश्यदसा ऐसे सानकांर योवप्की ह जो विभिन्न वनन्पतियोंके मेलले विभिन्न रोगोकोी औपधी निर्माण फर सके। शरीर श्रौपधी तेयार हो जानेपर ऐसे प्रयोक्ताओंफी शाव- ध्यफनार ज्ञो रोगीके अनुरूप औपधाफीो देग्यवर उस उसका प्रयोग कानेफी सलाष्ट पगर है सके । इसे साथ ही रोगीपा परिचारक भो पेसा उन्नल व्यक्ति है ज्ञा उथित मात्नाम उचित अनुपानक साथ टचित समयपर सींपधोफा सेचन करा सके। অনা হাদা মী লম্ঘা आम्या पूवक श्रौपयोफा सेवन फर सके | तय जाकर आपवोकोा फछ सनिश्चित समझा जा सकता हू । यदि आपधोका निमाण ठीका न हुआ हो, जिस आपधाोकी जितनी यात्रा नियत उनी सात्राम चह प्रीषधौ उमम न देख गह हा, फोट श्यापयो कमता और হু যালাল अधिक हो, भवच श्रीपयोके ठीक प्ति हुए भी उसकी विधि आर अनुपानस द्ुट रह गई हूं, रोगीफा परिचारक लापरबाहू ছা জীব বীমা অী অথএস লী 8 জা তীক্ষ আঘমা भी फन दायक नहीं हो सकती । यहा श्रात सनन्‍्नके चिपयलसे भी जानना चाहिये । चन्कि आपयोी सेवनफे लिए बग्तो जानेयाडी साववानीमे भी अधिक सावधानी सन्त्रके लिए जरूरों है। किन्तु सदर है कि




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