जूनां बेली नुवां बेली | Junan Beli Nuvan Beli
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
106
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कुणाल
ऐतिहासिक कहारणी
भोपाल राजस्थानी
भारत रे इतयास में असोक एक महान् सासक ह्िहिया है, इतयास रे पानां
मे उखां जड़ी वीरता, घल-विकेरम श्रर तेज दूजे किणीं भी राजा में नहीं हुतो,
पल उणमें राज विस्तार री वहौत भुख ही, उगा कलिंग माथे भारी चढ़ाई करदी,
ट्र जुहद में दोनां कांनला अणगरणा सैनिक काल ई जवड़ां में पॉचिग्या, नैना নাথ
बहुईग्या, हजारों लुगाइयां विधवायां हुयगी । बुद्ध भिखु उपग्रुग्त र॑ँ मुजब असोक
जद रणसखेतां में पौच्या ती घरती ने लोई सू' तर देखी, कठेई धड़, कर्ठई सीस
ती कठेई फोजियां रा हाथ-पग विखरोड़ा पहुया हा अर बांपे नरभाखी जिनावरां
री गिडद मचियोड़ी ही । सँतिकां ने चिरलाटियां कुसलाट करता देख र असोक
हे हिरद में उथलपुथल मचगी श्र उग्य ने अपरों आप सू सूग अर घिरणा
श्रायगी ।
इण दरसाव रे बाद असोक बुद्ध घश्म ने अगीकार करयो सत-अहिसा श्रर
बुद्धघरम में अपणी संगली सस्ति लगाय दी, जिश अशोक से मन में राज री काँकड
হ মহান री भावना ही वोईज अशोक एवं धरम सी सींबा रे फेलाब में लागग्यो
प्र् उवे बुद्ध धर्म सी प्रचार जावा, सुमातरा, लंका, रघाम बोरनियों अर चींण देस
तांई करायो ।
সমান শী बड़ी राणीं से राजकुमार-दुणाल, फुटरेपरा से परतक मूरती हो ।
उगरो बस्या इती फूडरी ही के उग स्मे सायत ईज किगी दूजे री हल । कृगाल
विदुया से भी चायो उपासक हो, राग-रागगणियों,
तान-लग में उव वगन उसारी
विरोबरी শী নাজ মনা নানী हो | उ्दरी प्रसर्धंगा कंचशा শী তন জী? হউক
শদয়ালনী। গিহাা লা की ।
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