आखिरी पन्ने पर देखिये | Aakhiri Panne Par Dekhiye
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
191
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
योगेन्द्र चौधरी - Yogendra Chaudhary
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विमल मित्र - Vimal Mitra
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आखिरी पन्ने पर देखिए 25
पहुँची ।
“क्या हुआ री, पूँटी ? गोरांग को कौन बुला रहा है २”
“मुनीम जी ।/
तथ गृहस्वामिनी की पुत्री स्तानघर में नहा रही थी । उसके कानों में
औोर-गुल नहीं पहुँचा था ।
वह ज्यींदी स्वान-घर से बाहर तिकली, वसुमती देवी बोली, “भरी
वीणा, तेरे बच्चे पर कितनी बड़ी मुगीबत आगी ! ”
“क्या हुआ 21
“सिद्धेश्वरी तेरे लड्के की सरसों के तेल से मालिश्च कर रही धी ।“
“सरसों के तेल से तुमने हो तो मालिश करने को कहा था, माँ !
इसीलिए तो रोज लगातो है ।”
गौरांगमणि अब तक अपराध का बोफ़ा सर पर लादे एक किनारे सजा
की प्रतीक्षा मे खड़ी थी | वीणा की वात सुनकर उसके प्राण लौटे )
* हम लोगों ने कितने ही वच्चों को जन्म दिया है। हमेशा सरवतों के
तैल घे ही मालिश की है, मालकिन जी 1”
वसुमती देवी बोली, “चुप रहू, बक-बक मत कर, कहां तेरा बच्चा
भर कहाँ बीणा का !”
बात सही है। गौरागमणि किससे किसकी तुलनी कर रही है ! वसुमती
देवी मे डॉटते हुए कहा, “अब डॉक्टर साहब के पास जाकर सफ़ाई दे ।”
डॉक्टर साहब इस घर के पुराने चिकित्सक हैं। गृहस्वामी से लेकर
उनके घर के हरेक व्यक्ति की चिकित्सा करते आ रहे है ।
“নবী, “वह बोले, “पहले जो हो चुका, वह हो चुका, मत से ऑलिव
आऑयल से मालिश करना पडेगा 1“
बुढ़िया मुनीम खासी चतुर थी । कमरे से कागज और कलम लाकर
बोली, “डॉक्टर साहव, इसमे लिख दीजिए, वरना भूल जाऊँगी ।
उसी क्षण निश्चित हो गया कि आलिव ऑयल से मालिश करना
पड़ेगा | खानदानी घर का नाती है। उसके लिए विशुद्ध ऑलिव ऑपल
लाया गया । न कैवेल विशुद्ध ऑलिय জাল, बल्कि सव~क विशुद्ध 1
विरुद दुघ, विभुध दध काना, विशुद्ध चावल, दाल, नमक; इतहे
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