सत्य उपदेशमाला | Satya Updeshmala
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
294
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(८)
सुंसलमान ने ओप पर थार किया। 'छुरे से &ः ज़्द़म किये,
परन्तु ईश्वर जनं चचा ली । ६ श्र्वदवर १६२७ को सी
दुकान पर “अब्दुल प्रज्ञीज” ने हमला किया । चह भूंज से स्वामी
'संत्यानन्् जी मंहाराज पर हो गंया | भाप बच गये, पंरन्तु यह
भूख, मतान्ध लोग कय गवारा फर संकते थे कि एक आयेबीर
ইহা, অম ध्रौर जाति कौ सेवा कर सके । ६ अप्रैल १४२६ पी
दो बजे दिन के “इलमदीन” नामक त्रखान नौजवान ने श्रय
पर दुकान के परन्दर धे हुए ध्याकरपरण किया । छुरा ऐसी तेंज्ञी
ओर बल से कछ्वाती पर भारा, कि तत्त्रण भाण पसर शसीर से
झड़ गये और धयाप हमेशा के लिए हम से जुदा हो गये ।
आप के पीछे आप की धर्मपत्नी और बहुत छोटे २
রই यथ्ले निःसद्याय रंह गए हैं। आप ी माता बहुत লিন
श्रौर घयोचद्ध हें, जो पुत्र के शोक में निमग्न हैं।
` दिकं सम्बन्धी सय भकार की पुस्तकें
| मिलने का पता-...
. राजपाल पएरड सनन््ज़,
: सरस्वती आश्रम, अनारेफेली; लाहोर ।
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