आर्थिक अवधारणाएँ व विधियाँ | Aarthik Avadharanayen V Vidhiyan

Aarthik Avadharanayen V Vidhiyan by लक्ष्मीनारायण नाथूराम - Lakshminarayan Nathuram

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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4 आईर्दिक अवधारणर ন হিদি্যা कोई सरोकार नहीं होता। कुछ वस्तुओं के उपघोग से क्त्या में वृद्धि नदी रोती. जैसे सगव, आदि से | लेकिन हम उनको अर्थशास्त्र के बाह्य नहीं रखते क्योंकि उनका मूत्य ग्रै ओर उनका विनिमय किया जाता है । कल्याय का प्रर आदर्शं विङ्गान (गणश € ऽ८2९९) का विषय होता है । इसमें नीविशास्र का समावेश होठा है । कल्याण को मापने में भी कठिनाई होती है। अत अर्थश्ात्र की वास्‍्तविक विज्ञान के रूप में प्रभाव करने के लिए रोविन्स ने इसे कल्याण के विवाद से मुक्त रखने पर बल दिया है। उसके मतानुसार, अर्थशास्त्र साथयों के प्रति বে ভরা ২1 (20950201515 0500516৩5৩০ 205) 1 अर्थशाद्वी के लिए साध्य दिये हुए रेते ई । बह তি তু মাচ্ছাঁ নী সা জনে কা মনীনিম তলায় বলা करता है, और उम्र सम्बन्ध में कम से कम व्यप के रणेकों का उपयोग करता है 1 () विश्लेषणात्रद्य दृष्टिकोण का अभाव-मार्शल का दृष्टिकोण क्रियाओं के वर्गीकरण को स्वीकार करता है। उसने क्रियाओं को आर्थिक और अनार्थिक दो भागों में विभावित किया है। ग्रेबिन्स का दृष्टिवोण विश्लेषणात्मक (3४20८) है, क्‍योंकि उसके अनुसार अत्येक क्रिया का चुनाव का पहलू हो उप्तता आर्थिक पहलू होठा है। सोमित साधनों व असीमिव लक्ष्यों वी स्थिति में हमें चुनाव के लिए बाध्य होना पड़ता है। अत गेबिन्स के अनुसार बोई क्रिया सम्पूर्ण रूप से आर्थिक या अनार्थिक नहीं होती, बल्कि प्रत्येक क्रिया का चुनाव का पहलू ही उसका आर्थिक पहलू होता है। (4) अर्थशाख्र एक मानदोय विज्ञार है-उपर्युक्त विचारधारा में আধা কী ঘন मानवीय एवं सामाजिक विद्धात माना गया है। रोबिन्स का मठ है कि एक एकान्तवासो व्यक्ति को भी अपने सीमित समय का अनेक कार्यों में विभाजन करना होता है। अत उसे भी आर्थिक स्पस्या का सामता करता पडता है। ऐेबिन्सन क्रूसो के लिए भी चुनाव की समस्या होती है। इसी प्रकार एक साम्यवादी अर्थव्यवस्था में भी चुनाव किया जाता है, हालांकि वहाँ यह कार्य योजनाधिकारी (9/०४०८:७) कखे हैं। अधिकाश चुनाव की समस्याएं एक स्वतन्र उद्यम वाली अर्थव्यवस्था में उत्बन होती हैं जहाँ अनेक उत्पादक व अनेक उपभोक्ता स्वतत्र रूप से चुनाव कौ भ्रक्रिया में भाग लेते हैं और बहुत से निर्णय करते हैं। लेक्नि चुनाव की समस्या अन्य परिस्थितियों में भी पायी जा सकती है। इस प्रकार गरेबिन्स ने अर्थशाज्न का कार्यक्षेत्र काफी विस्तृव बग्ा दिया है इन्हीं दोषों को दूर करने के लिए श्रो रोबिन्स ने अर्थश्यख्न की एक आधुनिक परिषाषा दो है जो तार्किक दृष्टि से ज्यादा सही व युक्तिसगव मानी गयी है। (ग) दुर्लभवा-प्रधात परिभाषा प्रोफेसर रोविन्स ने 1932 में अर्थशास्त्र को परिभाषा व विषय सामग्री आदि पर अपने नये विचार प्रसतुद किये ये अर्पशाल कौ आधुनिक पाठ्य पुस्तकों में परिणाषा के सम्बन्ध में प्राय येविन्स का दृष्टिकोण ही देखने को मिलता है जिससे इस श्षैत्र में ठसके योगदान का पता लगता दै 1 स्यिगलए, सेमुअल्सन व नोरढाउस, रिचर्ड जीतिप्से, हैंडरसन व क्वान्ट दथा মিলন फ्रीडमैन आदि आधुनिक अर्थशाझ्धियों के विचार भी वह॒त-कुछ रोबिन्स के विदाएं मे मिलते-जुलते ही हैं। हम यथास्थान सक्षेप में उनकी भी चर्दा करेंगे। रोविन्स च्छौ परिभाषा-रोबिन्स के अनुसार अवशा एक विज्ञान है ओ उस मानवीय व्यवहार व्या उघ्ययन करता है विस्छ सम्य लक्ष्यों व वैकत्पिछ उपयोगों दाले सोपित




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