अमेरिका की संस्कृति | America Ki Sanskrati
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
400
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)संस्कृति का स्वरूप ७
से ऊपर उठ सका,। उत्तरी यूरोप ने भी रोमन संस्कृति के सम्पर्क पर
ही अपनी सभ्यता का भवन खड़ा किया) अ्न्धकारमय युगो के बाद
इस्लाम के सम्पर्क और विस्तृत प्राचीन साहित्य के पुनरध्ययन ने
समूचे यूरोप में एक नयी संस्कृति को पुष्पित और पललवित किया
संयुक्त राज्य को यहुदी-ग्रीक-रोमन-यूरोपियन संस्कृति की ही विरासत
नहीं मिली, बल्कि संसार के सभी भागों--अफ्रीका, एशिया, स्पेनिश
प्रमेरिका और मूल-निवासी इंडियनों की संस्कृतियों ने भी उसे प्रभावित
क्रिया ।
हमारे भोजन मे जमनी, मविसको, जापान और इटली, सभी
जगह के भोज्य पदार्थ सम्मिलित हैं। इण्डियनों ने हमें मकका और
स्ववेश (एक प्रकार का कद्दू) पैदा करना और सकोटैश (मक्का और
सेम का वना एक खाद्य पदार्थ) खाना सिखाया। हमारे सारे देश में
चीनी भोजनालयों का कारोबार खूब चल रहा है और सभी बड़ी
दुकानों पर सोयाबीन की चटनी, सेवइयाँ और चोमीन आदि चीनी
खाद्य पदार्थ बिकते हैं । यह हो सकता है कि ये वस्तुएँ अपने शुद्ध मुल
रूप में न हों और अमेरिकनों ने उनमें कुछ परिष्कार कर लिया हो,
क्योंकि यह परिवर्तन और परिष्कार संस्कृतियों के सम्पके श्र मिश्रण
का अनिवाये परिणाम है ।
हमने भ्रपना अ्रधिकतर संगीत इटली और जर्मनी से, चित्रकला
फ्रांस से, न्याय की घाराएं इ'ग्लैण्ड से और अपना लोक-संगीत अफ्रीकी
स्व॒र-लहरियों से लिया है ।
लेकिन संस्कृतियों का यह संकर जहाँ उन्हें समृद्ध बनाता है, वहाँ
उसमें कुछ खतरे भी हैं। सांस्कृतिक सम्मिश्रण से कभी-कभी संकेत
और श्रभिव्यक्तियों मे गडवडी हो जाती है । उदाहरण के लिए भारत
में जाकर हम जब बाततचीत्त में अपना सिर दायें-बायें हिलाते हैं तो
उसका श्रर्थ नहीं! समझा जाता है, जब कि वास्तव में हमारा श्रसि-
प्राय उससे 'हाँ होता है । इसी तरह जब किसी जापानी से पूछा जाता
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