गोरक्षाकल्पतरु | Goraksha Kalpataru

Goraksha Kalpataru by गोविन्दजी देसाई - Govindji Desai

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about गोविन्दजी देसाई - Govindji Desai

Add Infomation AboutGovindji Desai

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
दोहसे रगे हुए जूते (आ) ˆ द्िन्दौ रिकस कमीशन फे सामने जो गवाह पेश हुए उनके इजहार से नीचे लिखी गवाहियां उद्धृत की गयी हैं । उन पर विवेचन करना अनावश्यक है । यदि मांसभोजन करना दोष दहं तो वेध किये हुए जानवरों के चमडे के जूते पहनना भी उतना ही दोष गिना जाना चाहिए । क्योंकि ऐसे जूते पेहननेवाले और मांसाहारी दोनों ही पशुवध को एकसा बढावा देते हैं। दयाधर्मी धनाढथों का यह परमधम है कि वे ऐसा प्रबन्ध, करें कि लोगों को मरे हुए ढोरों के चमडे के जूते मिल सकें और वे पशुवध के पाप के भागी बनने से बच जायें । ( ४० २५४, सर लोगी वाटसन ) स० चमडे का बाजार क्‍या यहां तक हमारे कब्जे में है कि उस पर कितना ही टिकस क्‍यों न लगाया जाय, दूसरे देशों को हमारा चमडा खरीदना ही होगा १ ज० यह बात तो नहीं है । १९१२-१३ में और लडाई के पहले १९१४ के आरंभ में भी इस देश में केवल खाल के




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now