शाहजहाँ | Shahajahan

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Shahajahan  by द्विजेन्द्रलाल राय - Dvijendralal Rayपं. रूपनारायण पाण्डेय - Pt. Roopnarayan Pandey

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पं. रूपनारायण पाण्डेय - Pt. Roopnarayan Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१२ भक्ति रखनेवाली तेजस्विनी जदरतको, बदलालेनेवाटी ओर शाप देनेनाली बनाकर नाव्यकारने इतिहासके साथ चरित्रके सामज्ञस्यकी रक्षा की है । ओऔरंगजेबने जब अपने एक पुत्रके साथ जहरतके विवाहका प्रस्ताव किया, तब जहरत अपने साथ एक छुरीको दिनरात रखने लगी। वह कहती थी फ़ पितृघातीके पुत्रके साथ मेरा विवाह हो, इसके पहले ही मे इस दुका अपनी छातीमें घुसेड़ छूंगी! जहानारा बिदुषी, तीक्ष्ण बुद्धिमती, ओर अङोकिकरूपवती छी थी 1 राजक, शेषजीवनका राजकार्यं उसीके इारेसे सम्पादित होता था । उसने अपनी इच्छसे अपने वृदे पिता- को झुभ्रूषाके लिए उसके साथ काराशहमें रहना स्वीकार किया था। उसकी इच्छानुसार उसकी समाधि खुले मैदानमें बनाई गईं थी और वह पाषाण- सौधसे नहीं किन्तु हरित दूर्वादलोंसे आच्छादित की गईं थी। इस इतिहासवि- श्रुत लीके चरित्रका नाटयकारने जैसा चादिए वैसा ही चित्र अंकित किया है । जहानारा मानो शाहजहाँको विपत्तिमें बुद्धि और दुःखमें জাননা देनेके लिए, दारा ओर नादिराको कर्तव्य स्मरण करा देनेके लिए, औरंग्र- নন্দী उसके पापोकी गंभीरता ओर आत्मप्रवश्चनाको अच्छी तरह साफ साफ दिखला देनेके लिए बादशाहक्ने अन्तःपुरमें आविर्भूत हुईं थी । जहा- नाराके चरित्रके इस शुश्र सोन्दर्यको बचाये रखकर द्विजेन्द्रला रायने नाटथ- कारके महत्त्वकी रक्षा की है । पियाराका चरित्र काल्पनिक है। शुजाके दूसरी पत्नी भी रही होगी; परन्तु वह कोई इतिहासश्सिद्ध व्यक्ति नहीं है और शुजाकी जो पत्नी ईराणके राजाकी कन्या थी वही यह पियारा है, इसका नाटकमे कोई उल्लेख नहीं है । अतएव पियाराकि चरित्रको इच्छानुरूप चित्रित करनेसें कोई बाधा नहीं है । कविने उसे अपने मनके अनुसार ही गढ़ा है । पियारा परिहासरसिका और पतिप्राणा द्लीका एक अपूर्वं चित्र दै । वह हसी मजाककी फव्वारा ओर विमलानन्दकी स्फटिकधारा है। वह पतिकी विपदामें सहायक, उलझनमें मंत्री और वीरतामें बल बन जाती है । बड़े भारी दुर्दिनोंमें भी वह छायाके समान पततिके साथ रहनेवाली और युद्धमें भी-यमराजके निमंत्रणमें भी पतिके साथ जानेवाली है। पियाराकी हास्य- प्रियता एक प्रकारकी कर्णकथा है ¡ उसके “ मुखमें हँसी और आँखोंमें जल? है । स्वामीकी आसन्न विपत्तिकी चिन्तामे उसका हृदय रुधिराक्त द्यो जाता




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