आत्मा प्रमोद | Aatma Pramod (1928) Ac 846

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Aatma Pramod (1928) Ac 846 by ब्रम्हचारी नन्दलाल महाराज - Bramhchari Nandlal Mharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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+ । र सआत्म-प्रमोद । ^ पद संख्या पृष्ठ কযা % ও জিব ऐसा दिन कब जाय है। ই ९ 9१४ जाग जाग अब आप विचार । ८ $ ४८ जगतूमें है सम्यक्त प्रधान । २५ द्‌ 4 ३९ देखो चैतन्य देव ज्ञान ऋद्धि छाई। १ @ ३६ देख देख निज आतमको । १९ ® ४४ देखो भाई ! देव निरंजन राजें। २३ রি এই देखो भाई क्‍या जंघेर पसारा। २८ 8 ध রর १४३ धन धनन है महिमा इस जनकी । छ ® १५ धन ते प्राणी जिनने पायो आतमश्ञान । ८ .@ ३१ धन्य धन्य है! श्ानी जगते, घन्य घन्य है कानी । १६ 4 ४ न রা ६० निज रूप देख मन बावरे ! कहां इत उत भटके । ३२ प ५ ५० प्राणी ¡ चेह सुदिन यह बेखा । २६ 8 ५१ भ्राण्यी † देख भतम नि ख्प । २७ 9 | @ ९ बुधजन पक्षपात तज देखो, भातमरूप विराजै धमे । ५ ® ३८ अह्माज्ञाब यह ज्ञान जान भविजन | २० ? ४९ बिराजे आत्म दैव भगवन्‌ । २४ ৪ ६२ वाहिरमें मन सूरमा अंतर नईिं राषा। हदे । भ १ भाई ! ज्ञान बिना तुख पायारे । १ २ भाई | जातम अनुभव करनारे । य ४ 9 ३५ भैया सो जातम जानो रे १८ मादे ! जिन दरक्षब अब पायो । ७७० ७ এভিনিউ




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