अनुवर्ग सूची कल्प | Anuvarg Suchi Kalp
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
492
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सूची-माग
घ॒ममों को कटर के झब्दों में और भी अधिक स्पष्टता के साय इस प्रकार रवा जा
सकता हूँ --
(१) कोई पाठक अपना ग्रत्थ पाने मे सफल हो सके, जब कि उस ग्रन्थ के
विषय में उसे या तो
(क) ग्रन्थकार, या
(ख) आस्या, या
(ग) विषय का ज्ञान हो ;
(२) यह ज्ञात हो मके कि ग्रन्थालय में
(घ) किसी ग्रन्थकार का,
(इ) किमी विशिष्ट विपय पर, तथा
(च) साहित्य कै किमी विरिष्ट अंग के अन्तर्गेत कितनी कतिया
उपलब्ध है ; तथा
(३) ग्रन्थ के वरण मे ग्रत्य सम्बन्धी
(छ) संस्करण, तथा
(ज) गुण की सहायता मिल सके ।
अद्भुतालय रुढ़ि
ऐतिहासिक दृष्टि से देखने पर यह प्रतीत होता है कि एक लम्बे समय तक
प्रन्यालय सूची पर एक शक्तिशाली रूढि का प्रभाव रहा है। उस समय ग्रन्थालय
को एक अद्भुतालय ही माना जाता था और समझा जाता था कि यहां पर केवल
सरक्षण की ही दृष्टि से ग्रन्थो का सग्रह होता है । इस रूढि के प्रभाव में स्वाभाविक
रूप से ग्रल्थालय सूची का एक मात्र धर्म यही माना गया कि वह संग्रह को ठीक प्रकार
से गिनवा सके। इस तालिकात्मक सूची को अधिक से अधिक सरल बनाने के लिये
एक ही पक्ति पर एक ही आल्या लिखी जाती थी । इसमें ग्रन्यो का करम उनके
परिग्रहण-क्रम में ही होता था और इसी क्रम में उनकी फलको पर व्यवस्था रहती
थी। इस प्रकार की सूची के निर्माण करते में कोई कठिनाई नही आती है और
२ कटर (चाल्से एं ) सर्वानुवर्ण सूची को ছাহাহ্ (7%15 © &
01210701) ८वादां०2४०) आदू. ४. १६०४. (युनाइटेइ स्टेट्स, ब्यूरो आफ
एजुकेखन, स्पेशल रिपोर्ट आन पब्लिक लायप्रेरीजू, भाग २). पू.१२
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