सर्वोदय संयोजन | Sarvodaya Samyojan

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Book Image : सर्वोदय संयोजन  - Sarvodaya Samyojan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पवोदय-संयोजन भाग पहला हाइड्रोजन बस आज एक अमंगल छाया के रूप में संसार पर छाया हुआ है। इस अगुभ छाया के नीचे मानवता अत्यन्त भयभीत ओर चिन्ताग्रस्त जीवन बिता रही ह । आज का मानव इस बात पर गर्व अनुभव कर रहा है कि उसकी सभ्यता किस ऊँचाई तक पहुँच गयी है। सचमुच विज्ञान तथा यंत्रादि की प्रगति, उत्पादन की महान्‌ गति और परिमाण तथा पश्चिम के खास-खास देशों का अपूर्व ऊँचाई को पहुँचा हुआ जीवन-मान चौधिया देनेवाली चीजें हैं । परन्तु यदि इस ऊपरी चमक-दमक को हटाकर देखा जाय, तो क्या आज का यह सभ्य और आगे बढा हुआ सानव हाथ में खूनी सोटा केकर दौड़नेवाले पुराने जगली मानव से वास्तव में कोई भिन्न प्राणी है ? हाँ, सोंटे के स्थान पर आज उसके हाथ में हम हाइड्रोजन बस जरूर देखते हे। परन्तु केवलरू इतने से उसके स्वभाव में कोई खास अच्तर नही आ गया है। वह तो आज भी अपने भाई के खून का उसी तरह प्यासा है। आज ससार के महान्‌ राष्ट्रो की चिन्ता का मुख्य विपय क्या है ? यही कि किस प्रकार विज्ञान, नयी-से-तयी यान्त्रिक




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