माँ और मुन्ना | Maa Aur Munna

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Maa Aur Munna by श्री हरिश्चन्द्र - Shri Harishchandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ३ ) हा, देवता त्लोग निषप्सन्देद वहीं निवास करते हं, जहां ठं. . स्त्री जाति का सम्मान करते हें । साताओ | मुझे आप से सी दो शब्द कहते हैं। आप देश के भाग्य की विधात्‌ हैं । आप चाहें तो देश उन्नति करे शिखर पर हँच सकता हैं, ओर न चाहें तो अवनति के गढ़ में गिर सकता है । आप चाहें तो धम;. सभ्यता. सच्चरित्रता की प्वजा इतनी ऊंची फहरा सकती हैं कि वह वाकाश स बाते करने लगे। आप ची उदासीनता इसे मिट्टी मं सिला सकती है। आप स जानियां घनतीं ओर वियदती हूँ । इस लिय माताओ। अपने इस उत्तर- दायित्व, इस ज़िम्मदारी को पहचानो। आप का कनन्‍्धों पर जो चोभ डाला गया है. उसे उचित. रीति स उठाओ। ध्याप माता हो | आप का मातृत्व का ज्ञान होना परमावश्यक है। आपका जानना होगा कि बच्चों का पालन पोषण, उनको शिक्षा- दीक्षा किस दंग से की जाये ताकि आपके घच्च उनचाकाद्ती- चरित्रवानः सत्यवादी घा।मक: दानशील, शूरबीर; वलवान; विद्वान ओर देशभक्त बने | श्राप साचोतो १८) मासिक- वेतन लेने वाल रसोइय को जब आप रखती है तो आपका पहला पश्न उससे यह होना है छि वह खान पकाने की कला म॑ निपण है या नहीं। सोटर जंसी गशीम चलाने के लिये ड्राइवरी की शिक्षा (ट्रं निंग) लेनी ही पड़ती है गाली बनने के लिय बाराबानी की कला में दःशल होसा ही पद है । लेकिन माता वनने के लिये, राष्ट्र तथा जाति निर्माता चसन लिये क्‍या किसी ज्ञान: किसी शिक्षा, किसी कोशल की आवष्यदा नहीं ९ ओह ! विःतनी नून द ! कितनी भारी मृखता है ७ वि भारी भोलापन है !॥ हमारा समाज एक युबा ओर दुबती को दिवाइ-बन्धन में घोंध देता है | उन्‍हें आता देता है कि सन्‍्तति उत्पन्न करा। राष्ट्र को बनाओ । उनके कन्धों पर इतना उत्तरदायित्व डालन समय 4| ~ + 4 ५ २, =




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