राजस्व | Rajasv

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Rajasv by भगवानदास केला - Bhagwandas Kela

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषयप्रवेश १५ कृद्रीय सरकार के आयव्यय-अनुमानपत्र में निन्नलिखित बाते रहती है १-- सिविल विभागों का ्ायभ्यय-अनुमान; तथा चीफ़ कमिरनरों के प्रांतों का आयब्यय-अनुमान (ये भ्रांत केदीय सरकार द्वारा ही शासित होते हैं। ) २--डन विभागों के आयच्यय का अचुमान, जो समस्त देश के लिए आवश्यक हैं, यथा, फ़ौज, रेल, डाक, तार । ३--इंडया आफ़िस के आयब्यय का अनुमान | ४--भारतवर्ष के हाई कमिश्नर संबंधी आयव्यय का अनुमान । आयदब्यय-अनुसानपत्र किस प्रकार तैयार किया जाता है (-- भाय; अगस्त या सितंबर के महीने म अस्येक भंत में सि्न-मिन्न विसागों के मुख्य अधिकारी ्रगके वषं की झाय और व्यय का अनुसांव प्रांतीय सरकार के पाख भेज देते है । च॑ को दो भागों मे बोट कर दिखाया जाता हैः- १--जो श्चं खाधारणतया सदैव होता रहता है, और सरकार द्वारा स्वीकृत हो चुका है, जैसे सरकारी कर्मचारियों का वेतन । २--जो खूर्च नया होता है, अर्थात्‌ उस वर्ष विशेष करना होता है। भिन्र-भिन्न विभागों से प्रास इए नक्तो को पुकन्रित कर के आंतीय सरकार के संबंधित सदस्य सरकार ह्वारा स्वीकृत ख़र्च का एक नक्शा बना देते हैं । पश्चात्‌, भ्र्थ-सद॒स्य इन सब नक़्शों की अच्छी तरह जॉच कर के इन सब का एक नक्शा बनाता है। नए खचे की जो रक्में होती हैं, वे विचारार्थ अर्थ-समिति में पेश की जाती हैं, जिस में अर्थ-सद्स्य के अतिरिक्त व्यवस्थापक-संडल के कुछ निर्वाचित सदस्य होते हैं। जब यह समिति इन ख़र्चो' को स्वीकार कर लेती है तो इन के अंक आयव्यय अजचुमान-




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