सौन्दर्य दर्शन | Saundarya Darshan
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
134
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ११)
प्रमु हमारा पडसुकमाल दहत ही कोमल धा, राज-सुर्खों
में पतला था, फिर भो हठ करके उसने दीक्षा ले ली | प्लवाप कृपा
करके वताध्ये कि उसके साधु धीवन की पहली रात कैसे बीती
है ” दृसी पिन्ता हद तो प्रमातकाल द्ोोते म होते हम दौढे प्राये
हैं। नवदौक्षित मुनि के हमें दर्शन भी कराएये, भगवन्--वसुदैव,
हेदकौ पौर कृष्ण हीनों प्रतीक्षातुर हाथ बाघे खडे ये ।
भयदान ने भावोद्वेक में कष्टा--'कहा हैं मुनि बजसुकमाल,
दिहके में तुम्हे दर्शश कराऊ ? वह तुमसे क्या छूष्टा, मुझसे भी
छूट गया घोर पहली ही रात्रि में देह भोर ससार से भी छूट बया
' है ।! यह सुनकर सभी मौन हो गये थे । ]
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